काल के महा महेश

देवश्री गोयलजगदलपुर-बस्तर(छग)********************************************** आदि में अनंत में…दिग औ दिगन्त में,नाद में निनाद में…सृष्टि के आल्हाद में।ओंकार में निरंकार में…शक्ति में साकार में,योग में वियोग में…जोग में संजोग में।प्रलयंकारी आशुतोष हैं…काल के…

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मेरा एकांत

देवश्री गोयलजगदलपुर-बस्तर(छग)********************************************** मुझे मिला सदा…भरा-पूरा एकाकीपन,भीड़ से अलग…सबसे जुदाअजनबीपन…।रोना चाहूं भी तो…मुझे काँधा मेरा तक,नहीं मिलता…वहाँ पहले से ही,कोई खोजता है…अपने लिए अपनापन…।किसी की हथेली में,चाँद दे दिया…किसी ने आसमान…

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स्मृतियों का दस्तावेज भला कहाँ बदलता…

देवश्री गोयलजगदलपुर-बस्तर(छग)********************************************** २०२० चला गया कुछ बहुत नए कड़वे,कुछ बहुत मीठे अनुभव,सीख,दुःख और अलग पहचान देकर…।यूँ तो हर पल बदलता है एक दिन बनने के लिए… एक दिन पुनःधीरे-धीरे एक…

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हर आँगन खिले

देवश्री गोयलजगदलपुर-बस्तर(छग)********************************************** दीपावली पर्व स्पर्धा विशेष….. उगलता रहा…विष…दो हजार बीस…।फीकी रही…होली…फीकी पड़ी बोली…।सूनी रही..कलाई…बिन कांधे…उठी अर्थी…।मलाल और…मायूसी का…बहुत घना…अंधेरा आया…।माता के दरबार…से भी नहीं आया…कोई बुलावा…प्रकृति मुस्कुराई…।लोग हँसना भूले…अमावस की…

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यादें

देवश्री गोयलजगदलपुर-बस्तर(छग)********************************************** प्रेम से पगे पत्र,जिसमें गुलाबों की…खुशबू होती थी,आज भी जेहन में…वो पत्र और उसकी,खुशबू बरकरार होती है…lफूल मुरझा चुकेहोते हैं…इबारत दिख नहींरही होती है…फिर भी अहसास से,लबरेज उसकीयादें…

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माँ

देवश्री गोयलजगदलपुर-बस्तर(छग)********************************************** अमूर्त अनगढ़ को,करती साकार…देती नया रूप,जन्म देकर…'माँ। नया जन्म भी,लेती है खुद…बत्तीस बन्धन,तोड़ कर अपने…शरीर से अलग करके,शिशु से अपने…जुडी रहती है,माँ। आँसू के एक,कतरे के लिए…अपने बच्चे…

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क्यों यह दहशतगर्जी का खेल…?

देवश्री गोयलजगदलपुर-बस्तर(छग)********************************************** विश्व शांति दिवस स्पर्धा विशेष…… शायद मैं थोड़ा उद्विग्न हूँ…,कह सकते हो कि मैं कृतघ्न हूँ।सिर्फ आह भरकर रह जाती हूँ…,सिर्फ आँख नम कर लेती हूँ।जब कायराना हरकत…

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मन की बात

देवश्री गोयलजगदलपुर-बस्तर(छग)********************************************** सिर्फ जल ही अर्पित नहीं करती स्त्री प्रभु चरण में…,स्वेद,अश्रु भी मिले होते हैं उसके उस जल में…। सिर्फ सपुष्प ही अर्पित नहीं करती स्त्री प्रभु चरण में…,शुद्ध…

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गोद भराई

देवश्री गोयलजगदलपुर-बस्तर(छग)******************************************************* विनीता के विवाह को पूरे ११ साल हो चुके थे,परंतु माँ बनने का सुख उसको मिला ही नहीं। उसके दोनों देवरों की शादी उसके सामने हुई…सालभर में दोनों…

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व्योम की विशालता…पिता

देवश्री गोयलजगदलपुर-बस्तर(छग)******************************************************* व्योम की विशालता…सागर की गहनता…प्रकृति की गंभीरता…,लिए होते हैं पिता…। मिजाज में प्रखरता…चरित्र में प्रबलता…मन में अथाह धीरता…,लिए होते हैं पिता…। दूर करके सबकी चिंता…सदा झेलते रहते दुश्चिंताकर्म…

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