कुल पृष्ठ दर्शन : 313

हक़ीक़त से मिल

निर्मल कुमार शर्मा  ‘निर्मल’
जयपुर (राजस्थान)
*****************************************************

ख़्वाब से तू निकल और हक़ीक़त से मिल,
फ़लसफ़ा जिंदगी का समझ आयेगा।
जो सहर अब,वो बन शाम,जायेगी ढल,
वक़्त पर न जगा गर,तो पछतायेगा।

ये सितारे फ़लक के लिये हैं बने,
ये जमीं पर कभी दोस्त आते नहीं।
ये लुभाते तो हैं,आदमी को बहुत,
आदमी के,मगर,काम आते नहीं।
कहकशां,आसमां में ही रह जाने दे,
ये जमीं है तेरी,तू जमीं पर ही चल।
ख़्वाब से तू निकल और हक़ीक़त से मिल,
फ़लसफ़ा जिंदगी का समझ आयेगा॥

ये मौसमे गर्मा-सर्मा-बहारां-खिज़ां,
मौसमे गुल,सभी आयेंगे-जायेंगे।
गुल खिलेंगे कभी,महकेगी फिजां,
आफत भी ये मौसम ही बरसायेंगे।
इनकी फ़ितरत है जो,इनको कर जाने दे,
हौंसला दिल में रख,तू संभल कर ही चल।
ख़्वाब से तू निकल और हक़ीक़त से मिल,
फ़लसफ़ा जिंदगी का समझ आयेगा॥

आसमां में तू कितना भी उड़ ले,मगर,
ये मुहब्बत किसी से निभाता नहीं।
अब्र हो मखमली,चाहे पुर-आब,पर,
प्यास,ये आसमां में बुझाता नहीं।
बेवफ़ा आसमां,गर,उसे जाने दे,
बावफ़ा अर्ज़ है,तू वफ़ा पर ही चल।
ख़्वाब से तू निकल और हक़ीक़त से मिल,
फ़लसफ़ा जिंदगी का समझ आयेगा॥

ख़्वाब से तू निकल और हक़ीक़त से मिल,
फ़लसफ़ा जिंदगी का समझ आयेगा।
जो सहर अब,वो बन शाम जायेगी ढल,
वक़्त पर न जगा गर,तो पछतायेगा॥
(इक दृष्टि यहाँ भी:फ़लसफ़ा=दर्शन,मौसमे गर्मा-सर्मा-बहारां-खिज़ां=गर्मी-सर्दी-वसंत-पतझड़ ऋतु,अब्र=बादल,अर्ज़=धरती)

परिचय-निर्मल कुमार शर्मा का वर्तमान निवास जयपुर (राजस्थान)और स्थाई बीकानेर (राजस्थान) में है। साहित्यिक उपनाम से चर्चित ‘निर्मल’ का जन्म १२ सितम्बर १९६४ एवं जन्म स्थान बीकानेर(राजस्थान) है। आपने स्नातक तक की शिक्षा (सिविल अभियांत्रिकी) प्राप्त की है। कार्य क्षेत्र-उत्तर पश्चिम रेलवे(उप मुख्य अभियंता) है।सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आपकी साहित्यिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भागीदारी है। हिंदी, अंग्रेजी,राजस्थानी और उर्दू (लिपि नहीं)भाषा ज्ञान रखने वाले निर्मल शर्मा के नाम प्रकाशन में जान्ह्वी(हिंदी काव्य संग्रह) और निरमल वाणी (राजस्थानी काव्य संग्रह)है। प्राप्त सम्मान में रेल मंत्रालय द्वारा मैथिली शरण गुप्त पुरस्कार प्रमुख है। आप ब्लॉग पर भी लिखते हैं। विशेष उपलब्धि में  स्काउटिंग में राष्ट्रपति से पुरस्कार प्राप्त ‘विजय रत्न’ पुरस्कार,रेलवे का सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त, दूरदर्शन पर सीधे प्रसारण में सृजन के संबंध में साक्षात्कार,स्व रचित-संगीतबद्ध व स्वयं के गाये भजनों का संस्कार व सत्संग चैनल से प्रसारण है। स्थानीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन होता रहता है। लेखनी का उद्देश्य- साहित्य व समाज सेवा है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-प्रकृति व समाज है। विशेषज्ञता में स्वयं को विद्यार्थी मानने वाले श्री शर्मा की रूचि-लेखन,गायन तथा समाज सेवा में है।

Leave a Reply