कुल पृष्ठ दर्शन : 296

दर्पण

बोधन राम निषाद ‘राज’ 
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
********************************************************************

झूठ नहीं है बोलता,दर्पण सच्चा मित्र।
सभी दिखा देता यही,भूत समय का चित्रll

कोई बच पाता नहीं,दिखलाता तस्वीर।
भस्म छिपा ज्यों आग हो,मानव जो गंभीरll

सोच-समझ सब कर्म हो,दर्पण से बच यार।
नहीं छिप सकता कभी,जो भी हो संसारll

पाप-पुण्य लेखा सभी,होते उसके पास।
सोच-समझ करना सभी,कर्म धीर विश्वासll

ये मन दर्पण-सा लगे,देख न ठोकर खाय।
टूटे से फिर ये कभी,कोई जोड़ न पायll

Leave a Reply