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मोह

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’
इन्दौर(मध्यप्रदेश)
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लफ़्जों का मोहताज नहीं है मोह…
क्योंकि,वो हर किसी के पास नही है।
वो एक कृष्ण ही था,
जिसके एक पथ पर मोह था।
दूसरे पर मर्यादा रही..फिर भी..
उस कृष्ण को भी जाने किसकी आस रही।
स्नेह के बंधन में बंधा था,गोपियों से,
पर फिर भी जीवन पर्यन्त राधा के मोह से बंधा रहा।
कहाँ मोह के बंधन से मुक्त हो पाया कृष्ण,
पत्थर का होकर भी,मंदिरों में राधा के साथ रहा।
मोह करने वाले ठहर जाते है वहीं,
चाहे ठिकाने कितने भी बदल जाएं।
पर मोह का पथ अटल होता है,
मोह बहुत गहरा होता है।
माँ कहाँ अलग हो पाती है,
संतान के मोह से,
उसके चेहरे से पढ़ लेती हृदय के भाव को।
मोह कभी नकारात्मक नहीं होता,
जो नकारात्मक हो,वो मोह नहीं है।
मोह को शब्दों से,
परिभाषित नहीं कर सकते।
तभी तो सतही जन की,
समझ से परे है मोह॥
लफ़्जों में कहाँ व्यक्त हो पाता है मोह…

परिचय-डॉ. वंदना मिश्र का वर्तमान और स्थाई निवास मध्यप्रदेश के साहित्यिक जिले इन्दौर में है। उपनाम ‘मोहिनी’ से लेखन में सक्रिय डॉ. मिश्र की जन्म तारीख ४ अक्टूबर १९७२ और जन्म स्थान-भोपाल है। हिंदी का भाषा ज्ञान रखने वाली डॉ. मिश्र ने एम.ए. (हिन्दी),एम.फिल.(हिन्दी)व एम.एड.सहित पी-एच.डी. की शिक्षा ली है। आपका कार्य क्षेत्र-शिक्षण(नौकरी)है। लेखन विधा-कविता, लघुकथा और लेख है। आपकी रचनाओं का प्रकाशन कुछ पत्रिकाओं ओर समाचार पत्र में हुआ है। इनको ‘श्रेष्ठ शिक्षक’ सम्मान मिला है। आप ब्लॉग पर भी लिखती हैं। लेखनी का उद्देश्य-समाज की वर्तमान पृष्ठभूमि पर लिखना और समझना है। अम्रता प्रीतम को पसंदीदा हिन्दी लेखक मानने वाली ‘मोहिनी’ के प्रेरणापुंज-कृष्ण हैं। आपकी विशेषज्ञता-दूसरों को मदद करना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिन्दी की पताका पूरे विश्व में लहराए।” डॉ. मिश्र का जीवन लक्ष्य-अच्छी पुस्तकें लिखना है।

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