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चाँदनी रात

संजय जैन 
मुम्बई(महाराष्ट्र)

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सुहानी यादों को मैं,
आज ताजा कर रहा हूँ
बैठकर बाग में उस चाँद को,
पहले की तरह ही आज
अपनी आँखों से तुम्हें देखकर,
उसी दृश्य की परिकल्पना कर रहा हूँ।

ओढ़कर प्यार की चुनरिया,
चाँदनी रात में निकलती हो
तो देखकर चाँद भी थोड़ा,
मुस्कराता और शर्माता है
और हाले-दिल तुम्हारा,
पूछने को पास आता है
हँसकर तुम क्या कह देती हो,
कि,रात ढलते लौट जाता है।

चाँदनी रात में संगमरमर,
की तरह तुम चमकती हो
रात की रानी बनकर,
पूरी रात महकती हो
और हर किसी को,
मदहोश कर जाती हो
और धरा पर प्यार के,
मोती बिखेर देती हो।

अपनी मोहब्बत से तुम,
सबको लुभाती हो
काली रात में भी,
चाँद को मिलने बुलाती हो
भूल जाती हो प्यार में,
कि पूर्णिमा को चाँद आएगा।
और पूरी रात तुम्हें,
दिल से लगाएगा॥

परिचय– संजय जैन बीना (जिला सागर, मध्यप्रदेश) के रहने वाले हैं। वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। आपकी जन्म तारीख १९ नवम्बर १९६५ और जन्मस्थल भी बीना ही है। करीब २५ साल से बम्बई में निजी संस्थान में व्यवसायिक प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। आपकी शिक्षा वाणिज्य में स्नातकोत्तर के साथ ही निर्यात प्रबंधन की भी शैक्षणिक योग्यता है। संजय जैन को बचपन से ही लिखना-पढ़ने का बहुत शौक था,इसलिए लेखन में सक्रिय हैं। आपकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। अपनी लेखनी का कमाल कई मंचों पर भी दिखाने के करण कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इनको सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के एक प्रसिद्ध अखबार में ब्लॉग भी लिखते हैं। लिखने के शौक के कारण आप सामाजिक गतिविधियों और संस्थाओं में भी हमेशा सक्रिय हैं। लिखने का उद्देश्य मन का शौक और हिंदी को प्रचारित करना है।

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