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माँ का थाम लेना हाथ

आरती जैन
डूंगरपुर (राजस्थान)
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पापा आपकी भी
मुझमें जान बसती है,
तो माँ अकेले क्यूँ
रातों को जगती है!
माँ-पापा एक होकर
आप मेरा हर काम करना,
माँ जब भरे बोतल
आप नेपी मेरी बदलना।
मेरे नाम के पीछे समाज माँ
से पहले जोडे़गा आपका नाम,
तो माँ अकेले क्यूँ!
करती है सारे मेरे काम।
पापा आपका तो होता
है आज भी हर सपना पूरा,
मेरे आते ही माँ का हर
सपना रह गया अधूरा।
मेरे साथ सब खेलते हैं
जब मैं हसता हूँ,
माँ अकेली संभाले जब,
रोते हुए परेशान करता हूँ।
थोड़ा-सा हाथ बांटने से
माँ की आँखों में बढ़ेगा मान,
मेरे दो काम करने से पापा
नहीं घटेगा आपका मान।
बड़ा होकर दूँगा मैं
पापा आपका पूरा साथ,
अभी जरूरत के समय
माँ का थाम लेना हाथ॥

परिचय : श्रीमती आरती जैन की जन्म तारीख २४ नवम्बर १९९० तथा जन्म स्थली उदयपुर (राजस्थान) हैl आपका निवास स्थान डूंगरपुर (राजस्थान) में हैl आरती जैन ने एम.ए. सहित बी.एड. की शिक्षा भी ली हैl आपकी दृष्टि में लेखन का उद्देश्य सामाजिक बुराई को दूर करना हैl आपको लेखन के लिए हाल ही में सम्मान प्राप्त हुआ हैl अंग्रेजी में लेखन करने वाली आरती जैन की रचनाएं कई दैनिक पत्र-पत्रिकाओं में लगातार छप रही हैंl आप ब्लॉग पर भी लिखती हैंl

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