गीता गुप्ता ‘मन’
उन्नाव (बिहार)
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खुले आसमान में
उड़ रही हैं पतंगें,
लहराते हुए इधर-उधर
ले रही हैं खुली हवा में साँसेंl
ललक है उनमें
ऊंचाइयों को छूने की,
हवा से कदम ताल करने की
स्वच्छंद हो
सिर उठाकर,
देख रहे हैं सब
प्रसन्नता के साथl
पीछे खींचनी पड़ती है डोर
और अधिक ऊँचाई,
पर पहुँचाने के लिये
आसमान बन जाता है
कर्मक्षेत्रl
होती है प्रतिस्पर्धा
उलझती हैं आपस में,
और जब टूटती है डोर
लड़खड़ाते कदमों से
आ जाती है,
जमीन परl
आशाओं के पर समेटे
अधरों पर मुस्कान लिये,
कि पराजित होने से पहले
जाने कितनी बार,
विजय को करीब से देखा हैll
परिचय:गीता गुप्ता का साहित्यिक उपनाम ‘मन’ है। आपका जन्म ८ मई १९८७ को उत्तर प्रदेश की उन्नाव जनपद के बिहार ग्राम में हुआ है। वर्तमान में हरदोई(उ.प्र.) शहर में और स्थाई पता ग्राम राधागंज जिला उन्नाव (बिहार)है। स्नातक,परास्नातक तथा बीएड शिक्षित गीता गुप्ता का कार्यक्षेत्र -अध्यापन(प्रा. विद्यालय में शिक्षिका) है। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत,बाल कविता ग़ज़ल और हायकू आदि है। ‘मन’ की रचनाओं को स्थानीय पत्र-पत्रिकाओं में स्थान मिला है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-मातृभाषा हिन्दी से प्रेम और इसका विश्व पटल पर सम्मान बढ़ाना है। हिन्दी और आंग्लभाषा की अनुभवी गीता गुप्ता की रुचि-बच्चों को पढ़ाने, कविता लिखने,संगीत सुनने एवं पुस्तकें पढ़ने आदि में है।