अश्मित कौर
कटक(ओडिशा)
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खट्टी-मीठी होती तकरार,
करता ढेर सारा प्यार
मेरा भाई,मेरा भाई,
खुशियों का पहरेदार।
पल में रुलाए,पल में हँसाए,
गुस्से से आँख दिखाए,
बाबा-माँ की फटकार से बचाए
हर पल साथ निभाए।
रक्षाबंधन की डोर से बंध,
कच्चे धागों से पक्के रिश्तों का मान बढ़ाए
ऐसा प्यारा रिश्ता उससे
लाड़ला मेरा भाई,मेरा भाई…॥