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मेरे कान्हा

रेणू अग्रवाल
हैदराबाद(तेलंगाना)
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सागर में बसाई द्वारका,
बने द्वारकाधीश कान्हा
जरासंध का वध किया,
हजार सोलह ब्याही कान्हा।

धर्म की रक्षा ख़ातिर,
दूत बन हस्तिनापुर आए
युद्ध टालने के लिए,
दुर्योधन समझाए कान्हा।

धर्म पाण्डव के साथ रहा,
बने सारथी अर्जुन के तुम
मार-मार सभी कौरवों को,
धरती का भार उतारे कान्हा।

विजय श्री पाण्डवों को दिला,
द्रोपदी को शान्त कराए
राजसूर्य यज्ञ करवाकर,
युधिष्ठिर सम्राट बनाए कान्हा।

पापियों का अंत है कीन्हा,
यादव वंश समाप्त कराए
आततायी राजाओं को,
भारत से मार भगाए।

कालयवन जब भारत आया,
रण छोड़ तब बने कान्हा
राजा मुचकुंद की अँखियन से,
कालयवन भस्म कराए कान्हा।

तेरी लीला का अंत नहीं है,
घर-घर सब संत नहीं है।
बाँचते-बाँचते थक जाओगे,
महिमा तेरी अपार कान्हा॥

परिचय-रेणू अग्रवाल की जन्म तारीख ८ अक्टूबर १९६३ तथा जन्म स्थान-हैदराबाद है। रेणू अग्रवाल का निवास वर्तमान में हैदराबाद(तेलंगाना)में है। इनका स्थाई पता भी यही है। तेलंगाना राज्य की वासी रेणू जी की शिक्षा-इंटर है। कार्यक्षेत्र में आप गृहिणी हैं। सामाजिक गतिविधि के तहत समाज में शाखा की अध्यक्ष रही हैं। लेखन विधा-काव्य(कविता,गीत,ग़ज़ल आदि) है। आपको हिंदी,तेलुगु एवं इंग्लिश भाषा का ज्ञान है। प्रकाशन के नाम पर काव्य संग्रह-सिसकते एहसास(२००९) और लफ़्ज़ों में ज़िन्दगी(२०१६)है। रचनाओं का प्रकाशन कई पत्र-पत्रिकाओं में ज़ारी है। आपको प्राप्त सम्मान में सर्वश्रेष्ठ कवियित्री,स्मृति चिन्ह,१२ सम्मान-पत्र और लघु कथा में प्रथम सम्मान-पत्र है। आप ब्लॉग पर भी लिखती हैं। इनकी विशेष उपलब्धि-गुरुजी से उज्जैन में सम्मान,कवि सम्मेलन करना और स्वागत कर आशीर्वाद मिलना है। रेणू जी की लेखनी का उद्देश्य-कोई रचना पढ़कर अपने ग़म दो मिनट के लिये भी भूल जाए और उसके चेहरे पर मुस्कान लाना है। इनके लिए प्रेरणा पुंज-हर हाल में खुशी है। विशेषज्ञता-सफ़ल माँ और कवियित्री होना है,जबकि रुचि-सबसे अधिक बस लिखना एवं पुरानी फिल्में देखना है।

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