जसवीर सिंह ‘हलधर’
देहरादून( उत्तराखंड)
*********************************
सितारों में चकल्लस है चमक शशि और दिनकर में।
यही अहसास धरती पर यही अहसास अंबर में।
कभी इक बाबरे ने ध्वंस कर दी थी निशानी जो,
मिटा पाया नहीं जालिम बसे श्री राम हर नर में।
फटी त्रिपाल में रह कर सिया सँग कष्ट झेले हैं,
पुनः वनवास दुहराया अयोध्या महल परिसर में।
सवारी आ गयी देखो सिया से साथ हैं रघुवर,
खड़े सब भ्रात दक्षिण में खड़े हनुमान उत्तर में।
समूचे विश्व में हलचल गवाही दे रहीं खबरें,
सकल ब्रह्मांड के राजा प्रतिष्ठित होंगे पत्थर में।
दिया प्रभु राम ने परिचय सरलता का सनातन का,
पधारे न्याय के द्वारा पुनः अपने उसी घर में।
हमारी प्रार्थना सुनकर धरा पर आ रहे रघुबर,
ठिकाना छोड़कर ‘हलधर’ पुराना क्षीर सागर में॥