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साहस,परिश्रम तथा बुद्धिमत्ता से पहचान बनाती नारी

डॉ.अरविन्द जैन
भोपाल(मध्यप्रदेश)
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‘अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस’ हर साल ८ मार्च को मनाया जाता है। यह विशेष दिन अलग-अलग क्षेत्रों में काम कर रही महिलाओं का सम्मान करने और उनकी उपलब्धियों का उत्सव मनाने का दिन है।सबसे पहले ये दिन अमेरिका में सोशलिस्ट पार्टी के आह्वान पर २८ फ़रवरी १९०९ को मनाया गया था। बाद में इसे फरवरी के आखिरी रविवार को मनाया जाने लगा। शायद जान कर आश्चर्य हो कि पहले अधिकतर देशों में महिलाओं को मत देने का अधिकार नहीं था। उन्हें ये अधिकार दिलाने के उद्देश्य से १९१० में सोशलिस्ट इंटरनेशनल के कोपेनहेगन सम्मेलन में महिला दिवस को अन्तर्राष्ट्रीय दर्जा दिया गया। इस दिवस की महत्ता तब और भी बढ़ गई,जब १९१७ में फरवरी के आखिरी रविवार को रूस में महिलाओं ने ‘बीड एंड पीस’ के लिए आन्दोलन छेड़ दिया और ज़ार को रूस की सत्ता छोड़नी पड़ी। इसके बाद जो अंतरिम सरकार बनी,उसने महिलाओं को मतदान का अधिकार दे दिया।
मित्रों,नारियों में अपरिमित शक्ति और क्षमताएँ विद्यमान हैं। व्यवाहरिक जगत के सभी क्षेत्रों में उन्होंने कीर्तिमान स्थापित किए हैं। अपने अदभुत साहस, अथक परिश्रम तथा दूरदर्शी बुद्धिमत्ता के आधार पर विश्वपटल पर अपनी पहचान बनाने में कामयाब रहीं हैं। मानवीय संवेदना,करुणा,वात्सल्य जैसे भावों से परिपूर्ण अनेक नारियों ने युग निर्माण में अपना योगदान दिया है।
एक ऐसा क्षेत्र,जहां महिलाएं सशक्तिकरण की राह पर हैं और अपने पक्ष की मजबूत दावेदारी दिखा रही है- यह क्षेत्र है देश की सुरक्षा। देश की मिसाइल सुरक्षा की कड़ी में ५हजार किलोमीटर की मारक क्षमता वाली अग्नि-५ मिसाइल की जिस महिला ने सफल परीक्षण कर पूरे विश्व मानचित्र पर भारत का नाम रौशन किया,वह शख्सियत टेसी थॉमस है। डॉ. टेसी थॉमस को लोग ‘मिसाइल वूमन’ कहते हैं,तो कई उन्हें ‘अग्नि-पुत्री’ का खिताब देते हैं। २० साल से टेसी थॉमस इस क्षेत्र में मजबूती से जुड़ी हुई हैं।
ऐसे ही डॉ. किरण बेदी भारतीय पुलिस सेवा की प्रथम वरिष्ठ महिला अधिकारी हैं। उन्होंने विभिन्न पदों पर रहते हुए अपनी कार्य-कुशलता का परिचय दिया है। उन्हें ‘वर्ष की सर्वश्रेष्ठ महिला’ चुना गया। उनके मानवीय एवं निडर दृष्टिकोण ने पुलिस कार्यप्रणाली एवं जेल सुधारों के लिए अनेक आधुनिक आयाम जुटाने में महत्वपूर्ण योगदान किया है। निःस्वार्थ कर्तव्यपरायणता के लिए उन्हें शौर्य पुरस्कार के अलावा उनके अनेक कार्यों को सारी दुनिया में मान्यता मिली है। परिणामस्वरूप रमन मैगसेसे पुरस्कार से उन्हें नवाजा गया। इनकी ‘नव ज्योति संस्था’ नशामुक्ति के लिए इलाज करने के साथ-साथ झुग्गी बस्तियों,ग्रामीण क्षेत्रों में तथा जेल के अंदर महिलाओं को व्यावसायिक प्रशिक्षण और परामर्श भी उपलब्ध कराती है। नशे की रोकथाम के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा किया गया ‘सर्ज साटिरोफ मेमोरियल अवार्ड’ इसका ताजा प्रमाण है।
भारतीय ट्रैक ऍण्ड फ़ील्ड की ‘रानी’ माने जानी वाली पी. टी. उषा भारतीय खेलकूद में हैं। वे भारत के अब तक के सबसे अच्छे खिलाड़ियों में से हैं। उन्हें ‘पय्योली एक्सप्रेस’ नामक उपनाम दिया गया था। पी.टी. उषा ने ४ स्वर्ण व १ रजत पदक जीते। एक ही अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में ६ स्वर्ण जीतना भी एक कीर्तिमान है। ऊषा ने अब तक १०१ अतर्राष्ट्रीय पदक जीते हैं।
ऐसी ही भारतीय महिला मुक्केबाज हैं मैरी कॉम,जो ५ बार विश्व मुक्केबाजी प्रतियोगिता की विजेता रह चुकी हैं। वह २०१२ के लंदन ओलम्पिक में महिला मुक्केबाजी में भारत की तरफ से जाने वाली एकमात्र महिला थीं। अब तक ६ राष्ट्रीय खिताब जीत चुकी है। बॉक्सिंग में देश का नाम रौशन करने के लिए भारत सरकार ने इन्हें अर्जुन पुरस्कार एवं पद्मश्री से सम्मानित किया।

सायना नेहवाल,सानिया मिर्जा जैसी कई महिलाएं खेल जगत की गौरवपूर्ण पहचान हैं,तो बछेन्द्री पाल दुनिया की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट को फतह करने वाली पहली भारतीय महिला हैं।
विश्व राजनीति के पटल पर रजिया सुल्तान हो या बेनजीर भुट्टो या बेगम खालिदा जिया,कई साहसी मुस्लिम महिलाओं ने भी राजनीति में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। भारत जैसे शक्तिशाली देश की कमान इंदिरा गाँधी, प्रतिभा सिंह पाटिल द्वारा संचालित की जा चुकी है। लोकसभा अध्यक्षा मीरा कुमार एवं अनेक राज्यों की महिला मुख्यमंत्री आज भी अपने कार्य को सफलता पूर्वक अंजाम दे रहीं हैं। हाल ही में एशिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्वस्था की नेता पार्क ग्यून हेई ने दक्षिण कोरिया की पहली महिला राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेकर नारी वर्ग के गौरव को और आगे बढ़ाया है।
साहित्य जगत में भी महिलाओं का अभूतपूर्व योगदान रहा है। हिंदी साहित्य में ऐसी गंभीर लेखिकाओं की कमी नहीं है, जिन्होंने अपनी संवेदनाओं को अभिव्यक्त करके विस्तृत साहित्य का सृजन किया है। महादेवी वर्मा,सुभद्रा कुमारी चौहान,महाश्वेता देवी,आशापूर्णा देवी,मैत्रिय पुष्पा जैसी अनेक महिलाओं ने असामान्य परिस्थितियों में भी साहित्य जगत को उत्कृष्ट रचनाओं से शुशोभित किया है।
भगिनी निवेदिता,मदर टेरेसा या रमाबाई, करुणा और वात्सल्य की भावना से ओतप्रोत महिलाओं ने सामाजिक क्षेत्र की भूमिका को बहुत ही आत्मीय तरीके से निभाया है। उनकी राह पर चलकर आज भी अनेक महिलाएं समाज सुधार के लिए तत्पर हैं।
एनी बेसेन्ट ने कहा है कि-‘स्त्रियाँ ही हैं, जो लोगों की अच्छी सेवा कर सकती हैं, दूसरों की भरपूर मदद कर सकती हैं। जिंदगी को अच्छी तरह प्यार कर सकती हैं और मृत्यु को गरिमा प्रदान कर सकती हैं।’
आज नारी ट्रेन और हवाई जहाज को भी न सफलता पूर्वक चला रही है,बल्कि अंतिरक्ष में भी कीर्तिमान बना रही है। भारतीय मूल की सुनीता विलियम्स और कल्पना चावला अंतरिक्ष पटल की खास पहचान हैं। प्रथम महिला रेलगाड़ी चालक सुरेखा यादव भारत की ही नहीं,वरन एशिया की भी पहली महिला चालक हैं।
आज नारी अपने साहस के बल पर पूरे आत्मविश्वास के साथ हर क्षेत्र में कामयाबी का परचम लहरा रही है। सिनेमा जगत को नए रंगों से भर रही हैं। लाइट,कैमरा,एक्शन बोलती महिलाएं अपने कदमों के निशान छोड़ रही हैं। निर्देशन का जिक्र हो तो सांई परांजपे का नाम जहन में आ जाता है,जिनके निर्देशन में बनी फिल्म ‘जादू का शंख’, ‘स्पर्श’, ‘चश्मेबद्दूर’ एवं ‘कथा’ जैसी फिल्मों ने सिने जगत को एक नई पहचान दी। अपर्णा सेन, फराह खान,सरोज खान,नेहा पार्ती जैसी कई महिलाएं सिने जगत में कुछ अलग हट के काम कर रही हैं।
पंचायती राज में आरक्षण के कारण आज बड़ी संख्या में गाँव की महिलाएं चुनाव जीत कर जनप्रतिनिधि के रूप में नेतृत्व की कमान संभाल रही हैं। महिला सरपंच द्वारा किए गए कार्यों की चर्चा अब दूर-दूर तक हो रही है। शमा खान, गीता बाई जैसी अनेक महिला सरपंचों ने नारी के गौरव को बढ़ाया है।
कहां अनुचित नहीं होगा कि,नई सदी की नारी के पास कामयाबी के उच्चतम शिखर को छूने की अपार क्षमता है। उसके पास अनगिनत अवसर भी हैं। जिंदगी जीने का जज्बा उसमें पैदा हो चुका है। दृढ़ इच्छाशक्ति एवं शिक्षा ने नारी मन को उच्च आकांक्षाएँ,सपनों के सप्तरंग एवं अंतर्मन की परतों को खोलने की नई राह दी है।
इंद्रा नूई,चन्द्रा कोचर,नैना लाल किदवई,किरण मजुमदार शॉ,स्वाति पिरामल,चित्रा रामकृष्णा जैसी अनेक महिलाएं आज वाणिज्य जगत में प्रतिष्ठित कंपनियों की सीईओ बनकर बहुत ही सफलता पूर्वक अपने कार्य को अंजाम दे रही हैं। देश-दुनिया की खबर रखती आज की नारी घर और दफ्तर में बखूबी तालमेल स्थापित कर रहीं हैं। समय के साथ खुद को और अपनी बेटी को भी स्वालंबी बना रहीं हैं।

परिचय- डॉ.अरविन्द जैन का जन्म १४ मार्च १९५१ को हुआ है। वर्तमान में आप होशंगाबाद रोड भोपाल में रहते हैं। मध्यप्रदेश के राजाओं वाले शहर भोपाल निवासी डॉ.जैन की शिक्षा बीएएमएस(स्वर्ण पदक ) एम.ए.एम.एस. है। कार्य क्षेत्र में आप सेवानिवृत्त उप संचालक(आयुर्वेद)हैं। सामाजिक गतिविधियों में शाकाहार परिषद् के वर्ष १९८५ से संस्थापक हैं। साथ ही एनआईएमए और हिंदी भवन,हिंदी साहित्य अकादमी सहित कई संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। आपकी लेखन विधा-उपन्यास, स्तम्भ तथा लेख की है। प्रकाशन में आपके खाते में-आनंद,कही अनकही,चार इमली,चौपाल तथा चतुर्भुज आदि हैं। बतौर पुरस्कार लगभग १२ सम्मान-तुलसी साहित्य अकादमी,श्री अम्बिकाप्रसाद दिव्य,वरिष्ठ साहित्कार,उत्कृष्ट चिकित्सक,पूर्वोत्तर साहित्य अकादमी आदि हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी अभिव्यक्ति द्वारा सामाजिक चेतना लाना और आत्म संतुष्टि है।

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