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नारी ने जन्म दिया,उससे ऐसा व्यवहार!

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’
रावतसर(राजस्थान) 
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महिला दिवस स्पर्धा विशेष……

दुर्जन जन करते रहते नारी पर अत्याचार,
जिस नारी ने जन्म दिया,उससे ऐसा व्यवहार ?

करुणा का सागर है नारी है ममता की मूरत,
मिलती-जुलती है नारी से ही भगवन की सूरत।
नारी के ही दम से चलता है सारा संसार,
जिस नारी ने जन्म दिया,उससे ऐसा व्यवहार…?

सृजन सृष्टि का करती नारी सोचो जरा विचारो,
नारी का अपमान करो मत सुन लो ओ हत्यारों।
रहम करो नारी जाति पर, सुन कर करुण पुकार,
जिस नारी ने जन्म दिया,उससे ऐसा व्यवहार…?

पछताओगे सब नारी जब अपनी पर आएगी,
उसकी एक वक्र दृष्टि से दुनिया हिल जाएगी।
ले लेगी जिस दिन धरती पर महा काली अवतार,
जिस नारी ने जन्म दिया,उससे ऐसा व्यवहार…?

कितने रूपों में नारी इस दुनिया में रहती है,
घर में माँ,धरती पर गंगा,माँ बनकर बहती है।
अर्धांगिनी बहन बेटी बन देती कितना प्यार,
जिस नारी ने जन्म दिया,उससे ऐसा व्यवहार…?

बीत गये वो दिन नारी जब अबला कहलाती थी,
आँख में आँसू मुँह पर ताला चुप ही रह जाती थी।
थे कंगन जिन हाथों में अब रखती तेज कटार,
जिस नारी ने जन्म दिया,उससे ऐसा व्यवहार…?

नारी ही दुर्गा सरस्वती काली लक्ष्मी माता,
नारी ही है मात शारदे बुद्धि ज्ञान प्रदाता।
हरेक रूप में विद्यमान है जाने सब संसार,
जिस नारी ने जन्म दिया,उससे ऐसा व्यवहार…?

नारी बिना अधूरा है नर सत्य बात है जानो,
नारी है अर्धांग तुम्हारा समझो ओ अनजानो।
हरिक क्षेत्र में आज व्याप्त है नारी का अधिकार,
जिस नारी ने जन्म दिया,उससे ऐसा व्यवहार…?

एक दिवस नारी का कहकर करते हो अपमान,
सुबह नहीं होती नारी बिन और नहीं अवसान।
सदा सर्वदा पूज्य नारी ईश्वर का अवतार,
जिस नारी ने जन्म दिया,उससे ऐसा व्यवहार…?

परिचय-शंकरलाल जांगिड़ का लेखन क्षेत्र में उपनाम-शंकर दादाजी है। आपकी जन्मतिथि-२६ फरवरी १९४३ एवं जन्म स्थान-फतेहपुर शेखावटी (सीकर,राजस्थान) है। वर्तमान में रावतसर (जिला हनुमानगढ़)में बसेरा है,जो स्थाई पता है। आपकी शिक्षा सिद्धांत सरोज,सिद्धांत रत्न,संस्कृत प्रवेशिका(जिसमें १० वीं का पाठ्यक्रम था)है। शंकर दादाजी की २ किताबों में १०-१५ रचनाएँ छपी हैं। इनका कार्यक्षेत्र कलकत्ता में नौकरी थी,अब सेवानिवृत्त हैं। श्री जांगिड़ की लेखन विधा कविता, गीत, ग़ज़ल,छंद,दोहे आदि है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-लेखन का शौक है

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