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प्राकृतिक सुधार

गोपाल मोहन मिश्र
दरभंगा (बिहार)
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इतिहास के पन्नों में उलट-फेर हो रही है…,
वक़्त करवट ले रहा है,एक नई भोर हो रही है…
दौड़ती थी जिंदगी जिस रोटी के नाम,
सुना है उस रोटी में भी आजकल देर-अबेर हो रही हैI
गुनाह किसका है,सजा किसे मिली,
किसे जिंदगी,किसको मौत मिली
किस से जाकर मैं ये सवाल करुँ,
किसके आगे मैं बवाल करुँ…।
अखिल विश्व को कोरोना ने घेरा…,
हर घर में सहमी-सहमी जान मिली
चलो दूसरा पहलू देखते हैं…,
गंगा पवित्र हो गई…।
दूर से हिमालय को देखते हैं…,
सड़कों पर भीड़ कम है…
माँ का आँचल भरा-भरा है…,
जो नहीं बोलते थे बाप से बेटे…
जो माँ से आँख चुराते थे…,
साथ बैठ कर खाना खा रहे हैं…
बचपन के किस्से सुना रहे हैं…।
सुना है रामायण नहीं देखी जिसने,
आज बाप को ‘पिताश्री’ बुला रहे हैं।
गलती किसी की भी हो…,
प्रकृति बदला लेती है…
जो खुद को भगवान समझ बैठे थे,
जो खुद को कायनात समझ बैठे थे
औकात दिखा दी पल भर में…,
हकीकत बता दी पल भर में…।
तुम मेहमान मात्र हो संसार में…,
सच्चाई बता दी पल भर में…॥

परिचयगोपाल मोहन मिश्र की जन्म तारीख २८ जुलाई १९५५ व जन्म स्थान मुजफ्फरपुर (बिहार)है। वर्तमान में आप लहेरिया सराय (दरभंगा,बिहार)में निवासरत हैं,जबकि स्थाई पता-ग्राम सोती सलेमपुर(जिला समस्तीपुर-बिहार)है। हिंदी,मैथिली तथा अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाले बिहारवासी श्री मिश्र की पूर्ण शिक्षा स्नातकोत्तर है। कार्यक्षेत्र में सेवानिवृत्त(बैंक प्रबंधक)हैं। आपकी लेखन विधा-कहानी, लघुकथा,लेख एवं कविता है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। ब्लॉग पर भी भावनाएँ व्यक्त करने वाले श्री मिश्र की लेखनी का उद्देश्य-साहित्य सेवा है। इनके लिए पसंदीदा हिन्दी लेखक- फणीश्वरनाथ ‘रेणु’,रामधारी सिंह ‘दिनकर’, गोपाल दास ‘नीरज’, हरिवंश राय बच्चन एवं प्रेरणापुंज-फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शानदार नेतृत्व में बहुमुखी विकास और दुनियाभर में पहचान बना रहा है I हिंदी,हिंदू,हिंदुस्तान की प्रबल धारा बह रही हैI”

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