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राजनीति की गँगा-कितनी मैली

राजकुमार अरोड़ा ‘गाइड’
बहादुरगढ़(हरियाणा)
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आखिर राजनीति में ये सब क्या हो रहा है,राजनीति की गंगा कितनी मैली और विषैली हो गई है। अपने को दूसरों से अलग बताने वाली भाजपा अब अलग नहीं रही,सब दल सत्ता को किसी भी तरह हथियाने के चक्कर में गहरे दल-दल का रूप ले चुके हैं,बाहर कोई नहीं निकल पा रहाl हर बार नैतिकता कोसों दूर खड़ी आँसू बहाती रह जाती है। भाजपा व उसके साथी दल जैसे तैसे बिहार में सत्ता में आ तो गए,पर बड़े सोच विचार के बाद बने १४ सदस्यी मंत्री मंडल में ९ पर तो आपराधिक मामले दर्ज मिलेl शिक्षा मंत्री सत्ता का मेवा कुछ घंटे ही चख पाएl पुराने घोटाले जो उन्होंने कुलपति रहने के दौरान किए थे,को विपक्षी दलों के उजागर करने पर त्याग-पत्र दे बाहर हो गए। देश की राजनीति में अपराधियों का बढ़ता वर्चस्व चिंता का विषय तो है ही,उससे कहीं बड़ा भयावह है उनका महिमा मण्डन,जो एक संस्कृति बन कर हर दल में गहराई से अपनी पैठ जमा चुका है।
लोकतंत्र में जब अपराधी प्रवृत्ति के लोग जनता का समर्थन पाने में सफल हो जाते हैं,तो दोष मतदाताओं का नहीं,अपितु उस राजनीतिक वातावरण का है जो ये दल व अपराधी मिल कर हर हथकंडा अपना कर करते हैं। उत्तर प्रदेश में राजा भैया,मुख्तार अंसारी,ब्रजेश सिंह आदि के आतंक केे चर्चे कौन भूल सकता हैंl सभी दलों में अपराधियों की भरमार है।
राजनीति बदलने का दावा करने करने वाली आम आदमी पार्टी(तीसरी बार प्रचंड बहुमत के साथ आई ) में ६२ में से ३६ पर मुकदमे दर्ज हैं,जिनमें अधिकांश गम्भीर हैं। अपने को ‘पार्टी विद ए डिफरेंस’ कहने वाली भाजपा के एक तिहाई से ज्यादा सांसद अपराधी हैं। लुप्त होती कांग्रेस में वैसे ही अपराधी-राजनीतिज्ञ धीरे-धीरे कम होते जाएंगे। कानून की कई बार धज्जियां उड़ा चुके लोग आज मंत्री,सांसद व विधायक हैं। हर तीसरा सांसद,हर चौथा विधायक आज किसी न किसी रूप में अपराधी है। आखिर यह सब इस देश को कहां ले जाएगा ?
यही अपराधी स्वयं को रॉबिनहुड के रूप में प्रस्तुत कर यशोगान करा पैठ जमा लेते हैंl लाखों-करोड़ों बटोर कर आतंक का साम्राज्य खड़ा कर उसके आका बन जाते हैं। किसी दल से लड़े या निर्दलीय,जीत उन्हीं की पक्की है! उच्चतम न्यायालय के निर्देशों की अवहेलना का कोई न कोई तोड़ निकाल ले हैं सभी दल,कोई भी अछूता नहीं है। शुचिता का दावा करने भाजपा में ही कितने ही दूसरे दलों के नामचीन भ्रष्टाचारी आज पवित्र होकर बड़े पदों पर हैं। २००४ में २४ प्रतिशत सांसद दागी थे, तो २०१९ में ४३ प्रतिशत हैं। शानदार तरक्की का इससे बढ़िया उदाहरण क्या होगा ?
हर किसी को जिताऊ उम्मीदवार चाहिए,चाहे उस पर कितने ही संगीन आरोप हों। केरल के डीन कुरियाकोस पर सबसे ज्यादा २०४ मुकदमे दर्ज हैं। आखिर,दोहरा शतक लगाने का जिम्मा सचिन तेंदुलकर,रोहित शर्मा,विराट कोहली ने ही थोड़े ही ले रखा है! ये बड़े-बड़े माफिया,राजनीति के धुरंधर किसी से कम नहीं हैंl
अब तो ऐसा व्यक्ति चुनाव में खड़ा नहीं हो सकता, जो न्यायालय द्वारा किसी भी अपराध में २ वर्ष से अधिक की सजा काट चुका हो। पिछले सप्ताह उच्चतम न्यायालय ने एक याचिका पर ४ अहम निर्देश दिए-वेबसाइट पर आपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों के चयन की वजह बताएं,उनके खिलाफ लम्बित मामलों की जानकारी प्रदर्शित करें। प्रत्याशियों के चयन के बाद ७२ घण्टे में उनके विरुद्ध दायर मामलों की जानकारी चुनाव आयोग को दी जाए,आदेश का पालन न होने पर आयोग अपने अधिकार से राजनीतिक दलों के खिलाफ कार्यवाही करें। निर्देश तो सही है,लेकिन अगर राजनीति को अपराध मुक्त करना है तो इसकी पहल राजनीतिक दलों को करनी होगी। सबसे जरूरी है कि वे अपने गिरेबान में झांक कर देखें कि सत्ता की चाह में कहीं लोकतंत्र की मन्दाकिनी को गन्दे नाले में तो नहीं बदल रहे!
एक बात और इन सबके अतिरिक्त राजनीति की विद्रूपता लगी कि,इस भयावह कोरोना काल में उपचार,सजगता,संक्रमितों की संख्या,मौत के आँकड़ों में भी पक्ष-विपक्ष,शह-मात का खेल खेला जा रहा है।
किसानों के लिए कानून बना कर किसानों को ही सही ढंग से नहीं समझा सके तो विरोध करने पर दमनकारी तरीके से दबाया जा रहा हैl महंगाई-बेरोजगारी चरम पर है,पर जब किसी भी दल के नेता या इन के पोषित बड़े बड़े अधिकारियों के यहाँ रेड पड़े तो करोड़ों की सम्पत्तियां उजागर होती हैं। ठेके लेने देने पर अरबों के वारे न्यारे होते हैं। चुनावों में बेहिसाब धन खर्च होता है। सरकार बनाने गिराने के खेल में करोड़ों में ये तथाकथित जनसेवक बिक जाते हैं।
आज सत्ता व धन की लोलुपता में इतना चारित्रिक हनन हो गया है कि इस विष के समन्दर में चन्द अमृत की बूंदों की कल्पना करना मुश्किल हो गया है। हम सबको अपने मनोभावों में परिवर्तन लाना होगा,एक दूसरे के बदल जाने की खाली चाहत
रखने से कुछ नहीं होगा,बल्कि यह सोच ही सबको रखनी होगी कि-
‘दिल तो कहता है,बदल डालूँ समाज को,
पर किसे बदलूँ,जब मैं खुद ही समाज हूँ।’
यही सोच ही राजनीति की गंगा को मैली और विषैली होने से बचाएगी,यही हमें राम राज्य की ओर अग्रसर करेगी। राम मंदिर की घण्टियाँ भी तभी हमें झंकृत करेंगीं,जब हमारे पास भरपेट रोटी की जुगाड़ होगी,सुखद भविष्य की कल्पना साकार होने की कोई सूरत होगी।

परिचय–राजकुमार अरोड़ा का साहित्यिक उपनाम `गाइड` हैL जन्म स्थान-भिवानी (हरियाणा) हैL आपका स्थाई बसेरा वर्तमान में बहादुरगढ़ (जिला झज्जर)स्थित सेक्टर २ में हैL हिंदी और अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री अरोड़ा की पूर्ण शिक्षा-एम.ए.(हिंदी) हैL आपका कार्यक्षेत्र-बैंक(२०१७ में सेवानिवृत्त)रहा हैL सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत-अध्यक्ष लियो क्लब सहित कई सामाजिक संस्थाओं से जुड़ाव हैL आपकी लेखन विधा-कविता,गीत,निबन्ध,लघुकथा, कहानी और लेख हैL १९७० से अनवरत लेखन में सक्रिय `गाइड` की मंच संचालन, कवि सम्मेलन व गोष्ठियों में निरंतर भागीदारी हैL प्रकाशन के अंतर्गत काव्य संग्रह ‘खिलते फूल’,`उभरती कलियाँ`,`रंगे बहार`,`जश्ने बहार` संकलन प्रकाशित है तो १९७८ से १९८१ तक पाक्षिक पत्रिका का गौरवमयी प्रकाशन तथा दूसरी पत्रिका का भी समय-समय पर प्रकाशन आपके खाते में है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं। प्राप्त सम्मान पुरस्कार में आपको २०१२ में भरतपुर में कवि सम्मेलन में `काव्य गौरव’ सम्मान और २०१९ में ‘आँचलिक साहित्य विभूषण’ सम्मान मिला हैL इनकी विशेष उपलब्धि-२०१७ में काव्य संग्रह ‘मुठ्ठी भर एहसास’ प्रकाशित होना तथा बैंक द्वारा लोकार्पण करना है। राजकुमार अरोड़ा की लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा से अथाह लगाव के कारण विभिन्न कार्यक्रमों विचार गोष्ठी-सम्मेलनों का समय समय पर आयोजन करना हैL आपके पसंदीदा हिंदी लेखक-अशोक चक्रधर,राजेन्द्र राजन, ज्ञानप्रकाश विवेक एवं डॉ. मधुकांत हैंL प्रेरणापुंज-साहित्यिक गुरु डॉ. स्व. पदमश्री गोपालप्रसाद व्यास हैं। श्री अरोड़ा की विशेषज्ञता-विचार मन में आते ही उसे कविता या मुक्तक रूप में मूर्त रूप देना है। देश- विदेश के प्रति आपके विचार-“विविधता व अनेकरूपता से परिपूर्ण अपना भारत सांस्कृतिक, धार्मिक, सामाजिक, साहित्यिक, आर्थिक, राजनीतिक रूप में अतुल्य,अनुपम, बेजोड़ है,तो विदेशों में आडम्बर अधिक, वास्तविकता कम एवं शालीनता तो बहुत ही कम है।

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