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हमारा बचपन

श्रेया गुप्ता
मुम्बई (महाराष्ट्र)
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सभी का बचपन होता है न्यारा,
मौज-मस्ती में गुजरा समय प्यारा।
इसी वक्त सबने किया काफी मज़ा,
जिसके लिए नहीं मिली उन्हें कोई सज़ा।

हर छुट्टी के दिन लेते थे अंगड़ाई,
और बाकी दिन,परिवार ने नींद उड़ाईं।
विद्यालय में करते थे दोस्तों से काफ़ी बातें,
इसी कारण हम वहाँ हँसते-खेलते जाते।

गिल्ली-डंडा तो हमारे माता-पिता ने ही खेला,
हमने तो सिर्फ देखा है मेला।
हमें अपने बचपन की है याद आई,
जब सब मिलकर खेलते थे छुपम-छुपाई।

मकर संक्रांति के दिन पतंग थी उड़ाईं,
और दूसरों की पतंगों की कर दी कटाई।
पतंग उड़ाकर हमने बहुत मौज मनाई,
कट जाने पर न किसी की सुनी,न सुनाई।

बचपन में बहुतों ने खेला होगा क्रिकेट,
लेकर एक-दूसरे की विकेट।
इसलिए प्रसिद्ध है क्रिकेट का यह खेल,
जिसे खेले खिलाड़ी जैसे क्रिस गेल।

बचपन बिताया हमने करके बहुत मस्ती,
जिस समय शरीर में थी फुर्ती और चुस्ती।
पर जल्दी बीत जाते हैं वो हसीन पल खुशहाली के,
जवानी में तो लगना है सिर्फ और सिर्फ रोज़गारी में॥

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