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स्वर्ग

गोपाल मोहन मिश्र
दरभंगा (बिहार)
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जहाँ जमीं आसमां मिलते होंगें,
जहाँ चारों दिशाओं की दीवारें
गिर जाती होंगीं,
जहाँ बादलों पर सोते होंगें लोग
जहाँ तारों पर चलते होंगें लोग,
जहाँ चाँद पर पिकनिक होती होगी
सूरज का अलाव तापा जाता होगा,
इन्द्रधनुष जहाँ बच्चों का कोलंबस होगा
राहू-केतु खिलौने होंगें,
जहाँ प्रेम होगा हवाओं में
विश्वास के पर्वत होंगें,
संतोष के फल लगते होंगें
सपनों के पेड़ों में,
उम्मीदों के फूल महकते होंगें
आशाओं के बाग में,
जहाँ लम्हों के समुन्दरों में,
खुशियों के मोती मिलते होंगें,
शायद ऐसा ही स्वर्ग है-
उस परम आत्मा में,
जहाँ विलीन होती है,
आत्माएं सभी…।

परिचय-गोपाल मोहन मिश्र की जन्म तारीख २८ जुलाई १९५५ व जन्म स्थान मुजफ्फरपुर (बिहार)है। वर्तमान में आप लहेरिया सराय (दरभंगा,बिहार)में निवासरत हैं,जबकि स्थाई पता-ग्राम सोती सलेमपुर(जिला समस्तीपुर-बिहार)है। हिंदी,मैथिली तथा अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाले बिहारवासी श्री मिश्र की पूर्ण शिक्षा स्नातकोत्तर है। कार्यक्षेत्र में सेवानिवृत्त(बैंक प्रबंधक)हैं। आपकी लेखन विधा-कहानी, लघुकथा,लेख एवं कविता है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। ब्लॉग पर भी भावनाएँ व्यक्त करने वाले श्री मिश्र की लेखनी का उद्देश्य-साहित्य सेवा है। इनके लिए पसंदीदा हिन्दी लेखक- फणीश्वरनाथ ‘रेणु’,रामधारी सिंह ‘दिनकर’, गोपाल दास ‘नीरज’, हरिवंश राय बच्चन एवं प्रेरणापुंज-फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शानदार नेतृत्व में बहुमुखी विकास और दुनियाभर में पहचान बना रहा है I हिंदी,हिंदू,हिंदुस्तान की प्रबल धारा बह रही हैI”

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