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दर्शन व वैदिक अध्ययन को बंद करने की तैयारी,सरकार को खुला ज्ञापन

भारत के समस्त साहित्य,संस्कृति,भाषा, दर्शन और हिंदीप्रेमी लोगों की ओर से भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,गृह मंत्री एवं भाषा मंत्री भारत सरकार अमित शाह,मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल `निशंक` एवं सभी संबंधित मंत्रियों,मध्यप्रदेश राज्य के मुख्यमंत्री,राज्य के राज्यपाल एवं कुलाधिपति लालजी टंडन कृपया अपने संज्ञान में लेकर आवश्यक कार्यवाही करें।
आज एक ऐसे विषय को सबके सामने लाना चाहता हूँ जो भारतीय संस्कृति,दर्शन, भाषा,हिंदी,साहित्य,कला के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय की स्थापना निश्चित रूप से भारतीय दर्शन और भारतीय पक्ष को मजबूत करने के लिए की गई थी। गुपचुप रूप से इस विश्वविद्यालय के दो महत्वपूर्ण विभागों को बंद करने का निर्णय अत्यंत अनैतिक और असंवैधानिक तरीके से लिया गया है।
नीचे विस्तारपूर्वक वर्णन कर रहा हूँ कि कैसे एक विश्वविद्यालय के मजबूत विभाग को और खास करके उन विभागों को,जो भारतीय ज्ञान पक्ष को प्रबल करते हैं भारत की राजभाषा और भारत के आत्मा की राष्ट्रभाषा हिंदी के माध्यम से समाज को जागृत करते हैं,एक षड्यंत्र के तहत नष्ट करने की योजना है।
समस्त भारत के सभी हिंदी भाषा,साहित्य और दर्शन प्रेमियों से अनुरोध करता हूँ कि हमें इस मुहिम को तब तक चलाना पड़ेगा, जब तक कि इस विवि के इन विभागों को बंद करने का निर्णय वापस न ले लिया जाए।
इन विभागों को बंद करने के लिए किसी समिति का भी गठन नहीं किया गया और आनन-फानन में दिल्ली विश्वविद्यालय के बौद्ध विभाग के एक प्राध्यापक और एक सेवानिवृत्त (इतिहास)प्राध्यापक,जिनका संबंध भी दिल्ली विश्वविद्यालय से ही है,की रिपोर्ट के आधार पर इस निर्णय को क्रियान्वित किए जाने की योजना है।
संवैधानिक रूप से विश्वविद्यालय के जीसी को ही कमेटी बनाने का अधिकार है,लेकिन अप्रत्याशित रूप से राज्य के मुख्यमंत्री द्वारा २ सदस्य समिति का गठन किया गया है,जो पूर्ण रूप से अनैतिक और असंवैधानिक है। साँची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय अधिनियम २०१२ द्वारा भारतीय ज्ञान परम्परा एवं उसके दर्शन पक्ष पर अध्ययन-अध्यापन एवं शोध करने हेतु ५ अध्ययन केन्द्रों की स्थापना की गई-
१.बौद्ध दर्शन शाखा
२.सनातन धर्म और भारतीय ज्ञान अध्ययन शाखा
३.अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध अध्ययन शाखा ४.तुलनात्मक धर्मों की शाखा
५.भाषा,साहित्य और कला की शाखा
इन ५ प्राध्यापन केन्द्रों के माध्यम से भारत की समन्वित ज्ञान,दर्शन,संस्कृति, भाषा के माध्यम से बनने वाले संबंधों को भारत की अनिवार्य सांस्कृतिक परम्परा मानते हुए उसके अध्ययन- अध्यापन एवं शोध को महत्वपूर्ण माना गया। विश्वविद्यालय के सभी प्राध्यापन केंद्र के अनिवार्य रूप से ‘दर्शन’ को स्थान दिया गया।
मध्यप्रदेश की वर्तमान सरकार द्वारा चुपचाप इसके २ अध्ययन केन्द्रों-सनातन धर्म और भारतीय ज्ञान अध्ययन शाखा व भाषा, साहित्य और कला की शाखा को बंद किया जा रहा (हिंदी विभाग भी शामिल)है। इसके अंतर्गत वैदिक अध्ययन,वैकल्पिक शिक्षा, भारतीय दर्शन,योग एवं आयुर्वेद,अंग्रेजी, हिन्दी,संस्कृत,चीनी भाषा,भारतीय चित्रकला विषयों का अध्ययन-अध्यापन किया जा रहा है।
दोनों प्राध्यापक का सम्बन्ध इतिहास विषय से ही है,अत: अन्य विषयों के पक्ष रखने वाले एक भी सदस्य को इस समिति का हिस्सा जानबूझकर नहीं बनाया गया।
वर्तमान सरकार द्वारा इन ५ प्राध्यापन केन्द्रों के स्थान पर महज ३ की जरूरत बताई जा रही है। स्पष्ट है कि इन केन्द्रों में ‘दर्शन’ अनुपस्थित है। इसके साथ ही साँची विश्वविद्यालय के उद्देश्य एवं प्राध्यापन केन्द्रों से भी इसका कोई भी सम्बन्ध नहीं है। वस्तुतः,यह विवि की आत्मा को ही कुंठित करने का प्रयास है ।
भारतीय ज्ञान परम्परा एवं इसके दर्शन पक्ष को ध्यान में रखकर ही इस विश्वविद्यालय की स्थापना की गई थी। विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रमों में बदलाव निश्चित रूप से इसके उद्देश्यों के साथ अन्याय करना है एवं भारतीय परम्परा,साहित्य-संस्कृति को नष्ट करने की एक सोची समझी साजिश है। वतर्मान में लगभग सभी विभागों में शोधार्थी शोध कार्य में शोधरत हैं। विश्वविद्यालय में पूर्व से चले आ रहे विभागों के विषय में परिवर्तन करना निश्चय ही विश्वविद्यालय के उद्देश्य, शोधार्थियों के हित और उनके अध्ययन-अध्यापन के लिए काला अध्याय होगा। इससे उस विभाग में पढ़ने वाले और शोध करने वाले शोधार्थियों का जीवन अंधकार में हो जाएगा।
अत:,आप सभी विद्वत समाज से निवेदन है कि साँची बौद्ध-भारतीय ज्ञान विश्वविद्यालय की अध्ययन परम्परा को बचाने हेतु अविलम्ब हस्तक्षेप करें और इस बात को हर उस व्यक्ति तक पहुंचाएं जो इस विवि को संरक्षित और पोषित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं,तथा भारतीय लोक परम्पराओं, भाषा दर्शन को भविष्य के लिए जीवित रख सकते हैं।

आशीष कंधवे

(सौजन्य:वैश्विक हिंदी सम्मेलन,मुम्बई)

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