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मन में राम

बोधन राम निषाद ‘राज’ 
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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मन में राम बसा लो मानव।
जीवन धन्य बना लो मानव॥
कट जाएँगे पातक भारी।
राम सुमिर लो हे संसारी॥

अवध बिहारी दशरथ नंदन।
कर लो भक्तों शत् शत् वंदन॥
ये जग के हैं पालनहारी।
राम लला जग के हितकारी॥

पावन सरयू की जल धारा।
बसे अवध जग से है न्यारा॥
तुलसी राम चरित लिख डाला।
प्रभु मूरत मन मोहक वाला॥

राम सिया जोड़ी मन भावन।
सरस कथा है बड़ी सुहावन॥
ध्यान लगाकर कर लो पूजा।
इसके सम ना कोई दूजा॥

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