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रिश्तों की डोर

डॉ.पूर्णिमा मंडलोई
इंदौर(मध्यप्रदेश)

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मकर सक्रांति स्पर्द्धा विशेष….

आज संक्रांति के त्योहार पर हमेशा की तरह छत पर पतंगबाजी का कार्यक्रम था। घर के सभी सदस्य तीनों बेटे,तीनों बहुएं,बच्चे,सास,ससुर सुबह से ही छत पर आ गए थे। सभी में पतंग उड़ाने का बहुत उत्साह था। सुबह से ही सबने नाश्ते की तैयारी कर ली थी,परन्तु घर की सबसे छोटी बहु रेनु को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था, क्योंकि जबसे रेनु ब्याह कर इस घर में आई है,तब से ही वह अलग-थलग रहती है। उसे सबसे घुलना-मिलना बहुत पसंद नहीं है। बड़े घर की बेटी है ना। उसके पिताजी शासकीय अधिकारी हैं। घर में नौकर- चाकर,बंगला,गाड़ी सब-कुछ तो है। उसके पिता ने इस घर में रिश्ता इसलिए किया कि,इस घर में बहुत पैसा तो नहीं,परंतु आपस में बहुत प्रेम है। रिश्तों की एक डोर में बंधे हैं सब। तीनों बेटे और दोनों बड़ी बहुएं ये बात अच्छी तरह समझते हैं कि,रिश्तों को कैसे निभाया जाता है,आपस में संबंधों को कैसे जोड़ कर रखा जाता है। डोर को जितना खींचा जाए वो टूट जाती है,उसमें ढील देना आवश्यक है।
आज सबकी बारी है पतंग उड़ाने की,बड़ी बहू ने रेनु से कहा और डोर रेनु के हाथ में पकड़ा दी। चूंकि,रेनु गुजरात में ही पली-बढ़ी है तो पतंग उड़ाना उसे आता है। थोड़ी देर बाद रेनु की पतंग दूसरी पतंग की डोर में उलझ गई। जैसे ही बड़ी भाभी ने देखा,तुरंत उन्होंने रेनु के हाथ को सहारा देकर डोर को ढील दे दी और पतंग को कटने से बचा लिया।

परिचयडॉ.पूर्णिमा मण्डलोई का जन्म १० जून १९६७ को हुआ है। आपने एम.एस.सी.(प्राणी शास्त्र),एम.ए.(हिन्दी) व एम.एड. के बाद पी-एच. डी. की उपाधि(शिक्षा) प्राप्त की है। डॉ. मण्डलोई मध्यप्रदेश के इंदौर स्थित सुखलिया में निवासरत हैं। आपने १९९२ से शिक्षा विभाग में सतत अध्यापन कार्य करते हुए विद्यार्थियों को पाठय सहगामी गतिविधियों में मार्गदर्शन देकर राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर सफलता दिलाई है। विज्ञान विषय पर अनेक कार्यशाला-स्पर्धाओं में सहभागिता करके पुरस्कार प्राप्त किए हैं। २०१० में राज्य विज्ञान शिक्षा संस्थान (जबलपुर) एवं मध्यप्रदेश विज्ञान परिषद(भोपाल) द्वारा विज्ञान नवाचार पुरस्कार एवं २५ हजार की राशि से आपको सम्मानित किया गया हैL वर्तमान में आप सरकारी विद्यालय में व्याख्याता के रुप में सेवारत हैंL कई वर्ष से लेखन कार्य के चलते विद्यालय सहित अन्य तथा शोध संबधी पत्र-पत्रिकाओं में लेख एवं कविता प्रकाशन जारी है। लेखनी का उद्देश्य लेखन कार्य से समाज में जन-जन तक अपनी बात को पहुंचाकर परिवर्तन लाना है।