कुल पृष्ठ दर्शन : 448

ले जा तू सलाम मेरा

वन्दना शर्मा’वृन्दा’
अजमेर (राजस्थान)

***********************************************************************

ससुराल से बेटी का सन्देश-
पुरवइया जाना मेरे बाबुल के देश रे,
ले जा रे सलाम मेरा ले जा सन्देश रे-

थोड़ी धीमी-धीमी चलना,थोड़ी सहमी-सहमी चलना,
घूँघट गोरी का उड़े न,मिट्टी आँख में गिरे न।
तुझको अपना सा दिखेगा परिवेश रे…
पुरवइया जाना-

गाँव की सीमा पर मिलेगी,माता सती निहाली,
द्वार पे रक्षक हनुमान,भरते सबकी झोली खाली।
वन्दन करना मिलेगा आशीष रे-
पुरवइया जाना…

जब तू खेतों से गुजरे,थोड़ी ठंडी हो के बहना,
सलाम ठंडा स्पर्श देकर,अन्नदाता से तू कहना।
श्रम से मैला न हो उनका वेश रे-
पुरवइया जाना…

बड़े-बूढ़े भी मिलेंगे मंदिर चौराहे दुकान पर,
राम-राम करते ही दुआएं फैलेंगी मुस्कान पर।
अब तू करना मेरे घर मे प्रवेश रे-
पुरवइया जाना…

द्वार पर माँ खड़ी मिलेगी,माँ के अंक में समाना,
आँचल खींच कर दिखाना,झूला जोर से हिलाना।
माँ तक पहुंचेगा मेरा हर सन्देश रे-
पुरवइया जाना…।
ले जा रे…॥

परिचय-वंदना शर्मा की जन्म तारीख १ मई १९८६ और जन्म स्थान-गंडाला(बहरोड़,अलवर)हैl वर्तमान में आप पाली में रहती हैंl स्थाई पता-अजमेर का हैl राजस्थान के अजमेर से सम्बन्ध रखने वाली वंदना शर्मा की शिक्षा-हिंदी में स्नातकोत्तर और बी.एड. हैl आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी के लिए प्रयासरत होना हैl लेखन विधा-मुक्त छंद कविता हैl इनकी लेखनी का उद्देश्य- स्वान्तःसुखाय तथा लोकहित हैl जीवन में प्रेरणा पुंज-गुरुजी हैंl वंदना जी की रुचि-लेखन एवं अध्यापन में है|

Leave a Reply