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भक्तों से कान्हा का अदभुत संबंध

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ 
उदयपुर(राजस्थान)

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कृष्ण जन्माष्टमी स्पर्धा विशेष……….

कान्हा भक्तों से आपका कैसा अदभुत है संबंध
आपसे प्रीत लगाकर भुला बैठा मैं तन और मन,
माँ से प्यार,बाल,ग्वाल,सखा,गोपियों से प्यार
पशुओं से प्यार,पक्षीयों से प्यार जग में है इजहार,
तेरे प्यार में डूबकर कान्हा,हर कोई यहाँ मगन।
कान्हा भक्तों से कैसे…॥

आपका महाबल देखा भुला बैठा मैं तन और मन
पूतना बकासुर कालिया नाग कंस का किया विनाश,
इंद्र सरीखे कई बलियों को नचाया करके परिहास
सारे जग की तेरे आसरे,लगी हुई है अब लगन।
कान्हा भक्तों से कैसे…॥

आपका महाज्ञान देखा,भुला बैठा मैं तन और मन
गीता के अदभुत ज्ञान से,जीता गया वह धर्म युद्ध,
हर बाधा को हर लिया जब हुआ धर्ममार्ग अवरूद्ध
योगेश्वर आपके योग मे हमारा जोड़ अटूट बंधन।
कान्हा भक्तों से कैसे…।

आपकी महालीला देखा भुला बैठा मैं तन और मन
यशोदा,सुदामा के आप,राधा और मीरा के आप,
हरेक के दिल में श्याम,आप ही करते हैं निवास
प्रेम की पराकाष्ठा प्रभु,आप हैं सबके मदन मोहन।
कान्हा भक्तों से कैसे…॥

आपकी सोलह कला देख,भुला बैठा मैं तन और मन
मोर पंख के रंग,बाँसुरी के संग,नाचे रास बिहारी,
सुदर्शन,पांचजन्य और शारंग के भी है यह धारी
आँखों में छवि मधुसूदन की,हर्षित हुआ है ये मन।
कान्हा भक्तों से कैसे…॥

परिचय-संजय गुप्ता साहित्यिक दुनिया में उपनाम ‘देवेश’ से जाने जाते हैं। जन्म तारीख ३० जनवरी १९६३ और जन्म स्थान-उदयपुर(राजस्थान)है। वर्तमान में उदयपुर में ही स्थाई निवास है। अभियांत्रिकी में स्नातक श्री गुप्ता का कार्यक्षेत्र ताँबा संस्थान रहा (सेवानिवृत्त)है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप समाज के कार्यों में हिस्सा लेने के साथ ही गैर शासकीय संगठन से भी जुड़े हैं। लेखन विधा-कविता,मुक्तक एवं कहानी है। देवेश की रचनाओं का प्रकाशन संस्थान की पत्रिका में हुआ है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-जिंदगी के ५५ सालों के अनुभवों को लेखन के माध्यम से हिंदी भाषा में बौद्धिक लोगों हेतु प्रस्तुत करना है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-तुलसीदास,कालिदास,प्रेमचंद और गुलजार हैं। समसामयिक विषयों पर कविता से विश्लेषण में आपकी  विशेषज्ञता है। ऐसे ही भाषा ज्ञानहिंदी तथा आंगल का है। इनकी रुचि-पठन एवं लेखन में है।

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