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याद मुझे भी कर लेना

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’
रावतसर(राजस्थान) 
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जब सूरज किरणें ढल जाये
जब शाम को अंधियारा छाये,
जलते दीपक की लौ …पर जब
जलने को पतंगा आ जाये,
पलकों में हो जब अक्स मेरा
तब याद मुझे तुम कर लेनाl

जब तन्हा ये दिल घबराये
आँखों में आँसू भर आये,
हो मन बैचेन तुम्हारा जब
दिल चैन कहीं भी ना पाये,
याद आयें साथ गुजारे पल
तब याद मुझे तुम कर लेनाl

हम दोनों जब भी मिलते थे
होती थी प्यार भरी बातें,
हाथों में हाथ तुम्हारा था
होती थी प्यार की बरसातें,
जब याद सताये ख्वाबों में
तब याद मुझे तुम कर लेनाl

काले बदरा जब घिर आयें
जब चपल दामिनी चमकाये,
रिमझिम सावन की बूँदों में
जब मेरा अक्स नजर आये,
दिल की प्यास न कम हो गर
तब याद मुझे तुम कर लेनाl

जब अपनी माँग भरोगी तुम
नयनों में कजरा डालोगी,
मेहँदी से हाथ रचे होंगे
बालों में गजरा बाँधोगी,
होंठों पर प्यास हो चुम्बन की
तब याद मुझे तुम कर लेना।

जब-जब भी याद करोगी तुम
सपनों में तुम्हारे आऊँगा,
करके बरसातें प्यार भरी
सहला कर तुम्हें सुलाऊँगा।
फिर भी जो नींद नहीं आये,
तब याद मुझे तुम कर लेना॥

परिचय-शंकरलाल जांगिड़ का लेखन क्षेत्र में उपनाम-शंकर दादाजी है। आपकी जन्मतिथि-२६ फरवरी १९४३ एवं जन्म स्थान-फतेहपुर शेखावटी (सीकर,राजस्थान) है। वर्तमान में रावतसर (जिला हनुमानगढ़)में बसेरा है,जो स्थाई पता है। आपकी शिक्षा सिद्धांत सरोज,सिद्धांत रत्न,संस्कृत प्रवेशिका(जिसमें १० वीं का पाठ्यक्रम था)है। शंकर दादाजी की २ किताबों में १०-१५ रचनाएँ छपी हैं। इनका कार्यक्षेत्र कलकत्ता में नौकरी थी,अब सेवानिवृत्त हैं। श्री जांगिड़ की लेखन विधा कविता, गीत, ग़ज़ल,छंद,दोहे आदि है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-लेखन का शौक है।

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