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घर किसका है…

जसवंतलाल खटीक
राजसमन्द(राजस्थान)
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सब कहते हैं-
खाली हाथ आए थे,
खाली हाथ जाएंगे
फिर क्यों रात-दिन खून पसी…ना एक करके,
जो सपनों का घर बनाते हो…
वो घर किसका है…!

ना तुम्हारा उस पर अधिकार,
ना ही किसी को दे पाते उपहार
चैन की नींद के लिए आलीशान घर बनाते,
पर उस घर की रखवाली में…
सुकून से सो भी नहीं पाते हो,
बताओ वो घर किसका है…!

नाना स्वांग रचते…
अत्याधुनिक उपकरण लगाते,
सपनों के महल को रोज सँवारते
पर फिर भी हम उसकी एक,
ईंट को भी साथ नहीं ले पाते…
फिर वो घर किसका है…!

भाई-भाई लड़ जाते…
बंटवारे की खातिर घर में,
पर ना हम ले जाते,ना बेटे
फिर क्यों प्यार की नींव गिराते,
मैं सबसे पूछता हूँ…
फिर वो घर किसका है…!

जसवंत ने बस इतना जाना…
प्यार-अपनत्व की सब माया,
एक दिल ही है जो अपना घर
जो प्यार से सबको आसरा देता,
बाकी घर-घरौंदे तो सब पत्थर के ढांचेl
फिर भी मैं सबसे पूछता हूँ…
फिर वो घर किसका है…!!

परिचय– जसवंतलाल बोलीवाल (खटीक) की शिक्षा बी.टेक.(सी.एस.)है। आपका व्यवसाय किराना दुकान है। निवास गाँव-रतना का गुड़ा(जिला-राजसमन्द, राजस्थान)में है। काव्य गोष्ठी मंच-राजसमन्द से जुड़े हुए श्री खटीक पेशे से सॉफ्टवेयर अभियंता होकर कुछ साल तक उदयपुर में निजी संस्थान में सूचना तकनीकी प्रबंधक के पद पर कार्यरत रहे हैं। कुछ समय पहले ही आपने शौक से लेखन शुरू किया,और अब तक ६५ से ज्यादा कविता लिख ली हैं। हिंदी और राजस्थानी भाषा में रचनाएँ लिखते हैं। समसामयिक और वर्तमान परिस्थियों पर लिखने का शौक है। समय-समय पर समाजसेवा के अंतर्गत विद्यालय में बच्चों की मदद करता रहते हैं। इनकी रचनाएं कई पत्र-पत्रिकाओं में छपी हैं।

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