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अजब इश्क

डॉ.पूजा हेमकुमार अलापुरिया ‘हेमाक्ष’
मुंबई(महाराष्ट्र)

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इश्क न हमने और न तुमने ही फरमाया,
इश्क की रवायतों और कवायतों का इल्म
न हमें है और न तुम्हें है,
दीदारे इश्क का नूर होता होगा क्या ?
अहसास न हमें है और न तुम्हें है,
चिलमन से सलामें मोहब्बत बयां करती
झुकी पलकों में,
हमारा शर्माना और तरन्नुम-ए-चाशनी में
तुम्हारा घुल जानाl
इस हकीकत से रहनुमा,
हम भी हैं और तुम भी हो
मोहब्बत की धड़कनों में पलती साँसों से,
सीने में उठते दर्द का एहसास
न हमें है न तुम्हें हैl
हमारी बिखरी जुल्फों में,
यूँ ही उंगलियाँ फिराने का बहाना
न हमें है न तुम्हें हैl
मेरे जख्मों से रिसते लहू का मर्ज,
न हमें है न तुम्हें हैl
अजब इश्क है हमारा,
चाहत और शिकवे-शिकायत की तड़प
न हमें है न तुम्हें है,
इश्क न हमने…ll

परिचय-डॉ. पूजा हेमकुमार अलापुरिया का साहित्यिक उपनाम ‘हेमाक्ष’ हैl जन्म तिथि १२ अगस्त १९८० तथा जन्म स्थान दिल्ली हैl श्रीमती अलापुरिया का निवास नवी मुंबई के ऐरोली में हैl महाराष्ट्र राज्य के शहर मुंबई की वासी ‘हेमाक्ष’ ने हिंदी में स्नातकोत्तर सहित बी.एड.,एम.फिल (हिंदी) की शिक्षा प्राप्त की है,और पी-एच.डी. की उपाधि ली है। आपका कार्यक्षेत्र मुंबई स्थित निजी महाविद्यालय हैl रचना प्रकाशन के तहत आपके द्वारा ‘हिंदी के श्रेष्ठ बाल नाटक’ पुस्तक का प्रकाशन तथा आन्दोलन,किन्नर और संघर्षमयी जीवन….! तथा मानव जीवन पर गहराता ‘जल संकट’ आदि विषय पर लिखे गए लेख कई पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैंl हिंदी मासिक पत्रिका के स्तम्भ की परिचर्चा में भी आप विशेषज्ञ के रूप में सहभागिता कर चुकी हैंl आपकी प्रमुख कविताएं-`आज कुछ अजीब महसूस…!` ,`दोस्ती की कोई सूरत नहीं होती…!`और `उड़ जाएगी चिड़िया`आदि को विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में स्थान मिला हैl यदि सम्म्मान देखें तो आपको निबन्ध प्रतियोगिता में तृतीय पुरस्कार तथा महाराष्ट्र रामलीला उत्सव समिति द्वारा `श्रेष्ठ शिक्षिका` के लिए १६वा गोस्वामी संत तुलसीदासकृत रामचरित मानस,विश्व महिला दिवस पर’ सावित्री बाई फूले’ बोधी ट्री एजुकेशन फाउंडेशन की ओर से जीवन गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया गया हैl इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा में लेखन कार्य करके अपने मनोभावों,विचारों एवं बदलते परिवेश का चित्र पाठकों के सामने प्रस्तुत करना हैl

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