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सतरंगी सात फेरे

ममता तिवारी
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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सतरंगी इंद्रधनुषी ख्वाब तेरे,
तलाश करती है
एक आसमान,
मेरी आँखों में गहरे उतर।

हस्ती में इस पार से उस पार,
छा जाना चाहती है
सप्त रंगों की,
रश्मियां रही है बिखर।

हरी चूड़ियाँ,नीले नयना,
नारंगी शामियाना
पीली हल्दी,
दिखती है लाल चुनर।

सात रंगों में रंगता दो मन,
तलाश करता तूफान से
शून्य में ठहराव,
ख्वाब जाते हैं सिहर।

रजनी रेशमी डोर में बंधी,
दूधिया धवल निशा
बेहिसाब बोल मौन में,
घोल गई जहर।

गहराते मेध छँटता इंद्रधनुष,
नीरव नील-आकाश
ये सतरंगी सपने,
अविचल आँसूओं में तर।

चटकती किरच-किरच में,
बेखबर दिल का काँच।
एहसास की आँच से,
इंद्रधनुष गए किधर॥

परिचय-ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।

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