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हर रात के बाद सवेरा

क्रिश बिस्वाल
नवी मुंबई(महाराष्ट्र)
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जैसे हर चमकते तारे तले काली रातों का साया होता है,
जैसे हर जलते दीपक तले अंधेरा होता है
ठीक उसी तरह हर रात के बाद सवेरा होता है।
जैसे किसी मनुष्य के मन हार का डर होता है,
जैसे किसी प्राणी को अपना शिकार खोने का डर होता है
ठीक उसी तरह हर रात के बाद सवेरा होता है।

मनुष्य रुक जाता है अड़चनों को देखकर,
किंतु अड़चनों के बाद कामयाबी का सवेरा आता है
ठीक उसी तरह जैसे हर रात के बाद सवेरा आता है।
चाँद को इस बात की खुशी है कि हर दिन अंधेरा आता है,
पर उसे इस बात का गम नहीं कि हर रात के बाद सवेरा आता है।

किस्मत पर विश्वास रखने वाला आवारा होता है,
पर कब कहानी बदल जाय इसका पता नहीं
क्योंकि हर रात के बाद सवेरा आता है।
मत डरो तुम इस कोरोना काल से,
बचा लेगा तुम्हें वो महाकाल रे,
ठीक उसी तरह हर रात के बाद सवेरा होता है।

हिम्मत जुटा कर लड़ो पूरी शिद्दत से,
लगो दो जान अपनी दूसरों को बचाने में,
ठीक उसी तरह जैसे नेताजी ने,
जान लगा दी तुम्हें आज़ादी दिलाने में,
कहा था उन्होने बस इतना खून से सनी हवाओं में,
कि हर रात के बाद सवेरा होता है॥

परिचय-क्रिष बिस्वाल का साहित्यिक नाम `ओस` है। निवास महाराष्ट्र राज्य के जिला थाने स्थित शहर नवी मुंबई में है। जन्म १८ अगस्त २००६ में मुंबई में हुआ है। मुंबई स्थित अशासकीय विद्यालय में अध्ययनरत क्रिष की लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक बुराइयों को दूर करने के साथ-साथ देशभक्ति की भावना को विकसित करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचन्द जी हैं। काव्य लेखन इनका शौक है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-‘हिंदी हमारे देश का एक अभिन्न अंग है। यह राष्ट्रभाषा के साथ-साथ हमारे देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसका विकास हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए अति आवश्यक है।’

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