मीरा जैन
उज्जैन(मध्यप्रदेश)
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खूबसूरत रिसोर्ट,चहुंओर भव्य नजारे,शाही विवाहोत्सव की व्यवस्था देखते ही बनती थीl इन सबके बीच सिर से पैर तक सजी सुनयना मुखड़े पर मुस्कुराहट लिए आने वाले हर आगंतुक का पूरी मुस्तैदी से ख्याल रख रही थी,कहीं कोई चूक ना हो जाएl रात्री दस बजने को थे,पैरों मे दर्द के बावजूद चेहरे की मुस्कुराहट ज्यों की त्यों कायम थीl अनेक खाली कुर्सियां सुनयना को निहार रही थी,लेकिन चाह कर भी वह बैठ नहीं सकती थीl अंतत: घर पहुँचते-पहुँचते पैरों के दर्द ने चेहरे की मुस्कुराहट को आँसूओं में विलीन कर दियाl सुनयना का मन घायल था,क्योंकि-‘इन सबके बावजूद कल पैरों को पुनः इसी तरह चलना और चेहरे को फिर इसी तरह मुस्कुराना होगा,क्योंकि वह वेटर जो ठहरीl’
परिचय-श्रीमति मीरा जैन का जन्म २ नवम्बर को जगदलपुर (बस्तर)छत्तीसगढ़ में हुआ है। शिक्षा-स्नातक है। आपकी १००० से अधिक रचनाएँ अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से व्यंग्य,लघुकथा व अन्य रचनाओं का प्रसारण भी हुआ है। प्रकाशित किताबों में-‘मीरा जैन की सौ लघुकथाएं (२००३)’ सहित ‘१०१ लघुकथाएं’ आदि हैं। इनकी विशेष उपलब्धि-वर्ष २०११ में ‘मीरा जैन की सौ लघुकथाएं’ हैं। आपकी पुस्तक पर विक्रम विश्वविद्यालय (उज्जैन) द्वारा शोध कार्य करवाया जा चुका है,तो अनेक भाषा में रचनाओं का अनुवाद एवं प्रकाशन हो भी चुका है। पुरस्कार में अंतर्राष्ट्रीय,राष्ट्रीय तथा राज्य स्तरीय कई पुरस्कार मिले हैं। प्राइड स्टोरी अवार्ड २०१४,वरिष्ठ लघुकथाकार साहित्य सम्मान २०१३ तथा हिंदी सेवा सम्मान २०१५ से भी सम्मानित किया गया है। २०१९ में भारत सरकार के विद्वानों की सूची में आपका नाम दर्ज है। श्रीमती जैन कई संस्थाओं से भी जुड़ी हुई हैं। बालिका-महिला सुरक्षा,उनका विकास,कन्या भ्रूण हत्या एवं बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ आदि कई सामाजिक अभियानों में भी सतत संलग्न हैं।