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वीरों का ही गुणगान गाइए

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’
रावतसर(राजस्थान) 
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आजादी का दिन आया खुशियाँ अपार लाया,
सब देशवासी मिल,पर्व ये मनाइये।
आज हर घर घर,बच्चे बूढ़े नारी नर,
शान अपने देश की,तिरंगा उड़ाइये।

शहीदों को याद कर,पुष्प अंजुरी में भर,
दिल से नमन कर,उनको चढ़ाइये।
जिनके बलिदान से,आजादी मिली है हमें,
आज उन वीरों का ही,गुणगान गाइये।

सींचा अपने खून से,भारत की माटी इसे,
करके नमन सदा,शीश पे लगाइये।
नौनिहाल भारत के,कर्णधार देश के हैं,
बलिदानियों की कथा,बच्चों को सुनाइये।

खींच कर ले आइए,छुप के जो बैठे सब,
ऐसे मीर जाफरों से,परदा उठाइये।
खाते हैं जो लूट-लूट,बेचते हैं देश को जो,
ढूँढ ऐसे गद्दारों को,फाँसी लटकाइये।

भारत महान देश,सुंदर है परिवेश,
मातृभाषा हिंदी इसे,सभी अपनाइयेl
रहें मिल भाई-भाई,दूर अलगाव खाई,
प्रेम सदभावना ही,दिल में जगाइये।

परिचय-शंकरलाल जांगिड़ का लेखन क्षेत्र में उपनाम-शंकर दादाजी है। आपकी जन्मतिथि-२६ फरवरी १९४३ एवं जन्म स्थान-फतेहपुर शेखावटी (सीकर,राजस्थान) है। वर्तमान में रावतसर (जिला हनुमानगढ़)में बसेरा है,जो स्थाई पता है। आपकी शिक्षा सिद्धांत सरोज,सिद्धांत रत्न,संस्कृत प्रवेशिका(जिसमें १० वीं का पाठ्यक्रम था)है। शंकर दादाजी की २ किताबों में १०-१५ रचनाएँ छपी हैं। इनका कार्यक्षेत्र कलकत्ता में नौकरी थी,अब सेवानिवृत्त हैं। श्री जांगिड़ की लेखन विधा कविता, गीत, ग़ज़ल,छंद,दोहे आदि है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-लेखन का शौक है।

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