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हालातों की धुरी पे सामाजिक संबंध

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)

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सामाजिक सम्बन्ध और दूरी स्पर्धा विशेष………..


सामाजिक संबंधों में दूरी,हालात ही बनाते हैं,
संबंधों की ही धुरी पर ये सृष्टि को चलाते हैं।
सामाजिक संबंधों…

बदलाव हालातों में करता,बदलकर वक्त है रुख अपने,
फिर वक्तो-हालात के जैसे ही,संबंध भी बनते जाते हैं।
सामाजिक संबंधों…

हालातों ने अच्छे और बुरे,संबंध बनाये और तोड़े,
पर मन मानव मजबूत बनेंं,तो दूरी ये मिटाते हैं।
सामाजिक संबंधों…

सामाजिक संबंध बनाता है,मानव ही सारी दुनिया में,
पर बेकाबू मन मानव ही,संबंधों में दूरी बनाते हैं।
सामाजिक संबंध…

हमने तुमने इसने उसने,सबने हालातों को देखा,
इनके पीछे जो वक्त छुपा,सब उसको देख न पाते हैं।
सामाजिक संबंध…

‘कोरोना’ के वायरस से जो मौजूदा हाल है दुनिया का,
कुदरत की देन नहीं कोई,ये वक्त और मन ही बनाते हैं।
सामाजिक संबंधों…

घर में रहकर अरदास करो,हर जीवन में सुख शान्ति हो,
सामाजिक संबंधों में दूरी,मिट जाए ‘चहल’ ये मनाते हैं।
सामाजिक संबंधों…॥

परिचय-हीरा सिंह चाहिल का उपनाम ‘बिल्ले’ है। जन्म तारीख-१५ फरवरी १९५५ तथा जन्म स्थान-कोतमा जिला- शहडोल (वर्तमान-अनूपपुर म.प्र.)है। वर्तमान एवं स्थाई पता तिफरा,बिलासपुर (छत्तीसगढ़)है। हिन्दी,अँग्रेजी,पंजाबी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री चाहिल की शिक्षा-हायर सेकंडरी और विद्युत में डिप्लोमा है। आपका कार्यक्षेत्र- छत्तीसगढ़ और म.प्र. है। सामाजिक गतिविधि में व्यावहारिक मेल-जोल को प्रमुखता देने वाले बिल्ले की लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और लेख होने के साथ ही अभ्यासरत हैं। लिखने का उद्देश्य-रुचि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-कवि नीरज हैं। प्रेरणापुंज-धर्मपत्नी श्रीमती शोभा चाहिल हैं। इनकी विशेषज्ञता-खेलकूद (फुटबॉल,वालीबाल,लान टेनिस)में है।

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