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अजीब दुनिया

प्रीति शर्मा `असीम`
नालागढ़(हिमाचल प्रदेश)
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बड़ी अजीब दुनिया है….तेरी
बन के धर्मात्मा,
गीता उपदेश सुनाती हैं।

भीतर से,
अपने मतलब को
पूरा करने के लिए,
शकुनि की तरह
चालबाजियों की,
बिसात सजाती है।

दूसरे ही पल,
बुरा नहीं करना
लम्बा भाषण दे जाती है।
फिर कानों में,
कानों से
कितनी बातें कह जाती है।

झूठ और सच को बड़ी,
सफाई से तराश लाती है
सच सुन नहीं पाती,
झूठ के पुलिंदे उठा लाती है।

फिर अपने पापों को,
छुपाने के लिए गंगा नहा आती है
कितने नाटकीय सोपानों को,
एकसाथ कर जाती है।

बुरा जमाना आ गया,
यह राग तो गाती हैं
अपने भीतर के जहर को,
कहाँ निकाल पाती है।

प्रेम की बातें तो करती है,
प्रेम से खाली ही रह जाती है
कितनी सुंदर दुनिया बनाई तूने,
क्या अहसास छीन लिए…
जब लोगों से दुनिया सजाई तूने।

यह दुनिया तेरी…
कितने चेहरे लिए जीए जाती हैl
बदल जाती है,मतलब से
मतलब से नये चेहरे लाती हैll

परिचय-प्रीति शर्मा का साहित्यिक उपनाम `असीम` हैl ३० सितम्बर १९७६ को हिमाचल प्रदेश के सुंदरनगर में अवतरित हुई प्रीति शर्मा का वर्तमान तथा स्थाई निवास नालागढ़(जिला सोलन,हिमाचल प्रदेश) हैl आपको हिन्दी,पंजाबी सहित अंग्रेजी भाषा का ज्ञान हैl पूर्ण शिक्षा-बी.ए.(कला),एम.ए.(अर्थशास्त्र,हिन्दी) एवं बी.एड. भी किया है। कार्यक्षेत्र में गृहिणी `असीम` सामाजिक कार्यों में भी सहयोग करती हैंl इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी,निबंध तथा लेख है।सयुंक्त संग्रह-`आखर कुंज` सहित कई पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैंl आपको लेखनी के लिए प्रंशसा-पत्र मिले हैंl सोशल मीडिया में भी सक्रिय प्रीति शर्मा की लेखनी का उद्देश्य-प्रेरणार्थ हैl आपकी नजर में पसंदीदा हिन्दी लेखक-मैथिलीशरण गुप्त,जयशंकर प्रसाद,निराला,महादेवी वर्मा और पंत जी हैंl समस्त विश्व को प्रेरणापुंज माननेवाली `असीम` के देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“यह हमारी आत्मा की आवाज़ है। यह प्रेम है,श्रद्धा का भाव है कि हम हिंदी हैं। अपनी भाषा का सम्मान ही स्वयं का सम्मान है।”

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