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यथार्थ छूने में कामयाब `मर्दानी-२`

इदरीस खत्री
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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निर्देशक-गोपी पुरथन की इस फिल्म `मर्दानी-२` में
अदाकार-रानी मुखर्जी,विक्रम सिंह चौहान,श्रुति बापना, दीपिका अमीन और विशाल जेठवा हैंl
#पहले छोटी चर्चा-
गोपी ने `मर्दानी` लिखी थी,अब उन्होंने दोनों आयाम सम्भाल लिए लेखन और निर्देशनl बलात्कार पर आपने `मॉम`,`भूमि`,`सिम्बा` और बहुत-सी फिल्में देखी होगी,पर पहली बार इस फ़िल्म से एहसास होता है कि,बलात्कार कितना जघन्य,वीभत्स,निर्दयी तथा कष्टदायी होता हैl वैसे भी भारत में बलात्कार को लेकर अस्मिता पर प्रश्न माना जाता है।


#कहानी-
शिवानी शिवाजी रॉय(पोलिस अधिकारी) सत्य निष्ठा, कर्तव्य निर्वहन में परिपूर्ण हैl उसका तबादला मुम्बई से कोटा(शैक्षणिक गढ़)होता है,जहां देशभर के बच्चे पढ़ने और प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण करने आते हैंl यहां एक बच्ची के साथ बलात्कार और नृशंस हत्या जैसा अपराध एक मानसिक विक्षिप्त हत्यारा करता है, जिसे शिवानी को २ दिन में पकड़ने का जिम्मा दिया जाता हैl अब हत्यारे की सनक अगले शिकार की ओर तो मर्दानी की सनक उसे बचाने की है,जिसका खेल शुरू हो जाता हैl क्या मर्दानी उस पागल हत्यारे को पकड़ पाने में कामयाब होती है,यदि हाँ तो मर्दानी को क्या-क्या कुर्बानी देनी पड़ती है,इन सवालों के जवाब के लिए फ़िल्म देखनी बनती है।
#संगीत-
फ़िल्म की पटकथा इतनी चुस्त है कि,गानों की कोई जगह है ही नहींl गाने बेकग्राउंड में ही रखे गए हैंl बेक ग्राउंड संगीत हर पल रोमांच और डर जगाने में कामयाब लगा,जो जॉन स्तुवर्ट ने रचा है।
#बजट एवं प्रदर्शन-
२३ करोड़ लागत और प्रदर्शन विज्ञापन सहित फ़िल्म ने अपने सेटेलाईट-डिजिटल अधिकार २० करोड़ में बेच दिए हैंl इस फ़िल्म के सामने इमरान हाशमी की `बॉडी` भी प्रदर्शित हो रही है,तो फ़िल्म को १५०० से १७०० पर्दों पर प्रदर्शित किया जाएगाl ट्रेलर को देखते हुए फ़िल्म ४ से ६ करोड़ की शुरुआत ले लेगी ,जबकि सप्ताहंत तक फ़िल्म पूरा बजट निकालती लग रही है।
#अदाकारी-
रानी मुखर्जी वह अदाकारा हो गई है,जिन्हें किसी भी अभिनेता की ज़रूरत नहीं है,खुद किसी नायक से कम नही हैl गजब का आत्मविश्वास,संयम उनकी अदाकारी में देखने को मिलाl जेठवा खलनायक की भूमिका में सधे हैं,लेकिन दिल्ली अभी दूर हैl फ़िल्म के सभी सहयोगी अदाकार अपनी-अपनी जगह माकूल लगे हैं।
#निर्देशन-
गोरी ने पहले दृश्य से फ़िल्म और विषय को बांधे रखा हैl फ़िल्म में एक भी दृश्य बेजा नहीं लगता हैl पूरी फिल्म अपनी रफ्तार से चलती हैl दूसरा भाग और भी ज्यादा रफ्तार से चलता हैl अंत में आपका सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है।
#एक सवाल-
फ़िल्म में अवयस्क अपराधियों पर प्रकाश डाला गया है, जिसके कानून में अलग-अलग उपबन्ध किए गए हैं,जो विचारणीय प्रश्न हैl फ़िल्म पूरी तरह डार्क शेड में है,जो यथार्थ के करीब भी लगती है।
#क्यों देखें फ़िल्म ?
नो मसाला,नो लव-शव,नो मनोरंजन,लेकिन फ़िल्म पूरी तरह से आपको सीट से बाँधे रखती हैl बलात्कार की बर्बरता को इतनी ईमानदारी से प्रदर्शित किया गया है कि,आपकी रूह कांप जाती हैl इस फिल्म को साढ़े ३ अंक देना सही होगा।

परिचय : इंदौर शहर के अभिनय जगत में १९९३ से सतत रंगकर्म में इदरीस खत्री सक्रिय हैं,इसलिए किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। परिचय यही है कि,इन्होंने लगभग १३० नाटक और १००० से ज्यादा शो में काम किया है। देअविवि के नाट्य दल को बतौर निर्देशक ११ बार राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व नाट्य निर्देशक के रूप में देने के साथ ही लगभग ३५ कार्यशालाएं,१० लघु फिल्म और ३ हिन्दी फीचर फिल्म भी इनके खाते में है। आपने एलएलएम सहित एमबीए भी किया है। आप इसी शहर में ही रहकर अभिनय अकादमी संचालित करते हैं,जहाँ प्रशिक्षण देते हैं। करीब दस साल से एक नाट्य समूह में मुम्बई,गोवा और इंदौर में अभिनय अकादमी में लगातार अभिनय प्रशिक्षण दे रहे श्री खत्री धारावाहिकों और फिल्म लेखन में सतत कार्यरत हैं। फिलहाल श्री खत्री मुम्बई के एक प्रोडक्शन हाउस में अभिनय प्रशिक्षक हैंl आप टीवी धारावाहिकों तथा फ़िल्म लेखन में सक्रिय हैंl १९ लघु फिल्मों में अभिनय कर चुके श्री खत्री का निवास इसी शहर में हैl आप वर्तमान में एक दैनिक समाचार-पत्र एवं पोर्टल में फ़िल्म सम्पादक के रूप में कार्यरत हैंl

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