हमसफ़र
डॉ.नीलम कौरउदयपुर (राजस्थान) *************************************************** गम की बरसातों में,रुह मेरी भीगने सेबचाता है,धूप हो गर नाउम्मीदी कीसाया-ए-उम्मीद,बन जाता है‘हमसफ़र’ है वो मेरा,रहबर बन दुःख-दर्द मेरेअपने सब कर लेता है। तृषित चातक नयन मेरे,नेह-बूँद वो सावन कीमैं चकोरी निशी भर की,चंद्रमा वो मनाकाश कामन में जब भी छाए अँधेरे,‘हमसफर’ वो मेरासूरज बन जाता है। रस्मों-रिवाजों के बंधन,कान्हा … Read more