कुल पृष्ठ दर्शन : 585

हमसफ़र

डॉ.नीलम कौर
उदयपुर (राजस्थान)
***************************************************

गम की बरसातों में,
रुह मेरी भीगने से
बचाता है,
धूप हो गर नाउम्मीदी की
साया-ए-उम्मीद,
बन जाता है
‘हमसफ़र’ है वो मेरा,
रहबर बन दुःख-दर्द मेरे
अपने सब कर लेता है।

तृषित चातक नयन मेरे,
नेह-बूँद वो सावन की
मैं चकोरी निशी भर की,
चंद्रमा वो मनाकाश का
मन में जब भी छाए अँधेरे,
‘हमसफर’ वो मेरा
सूरज बन जाता है।

रस्मों-रिवाजों के बंधन,
कान्हा बन सुलझाता है
माया का मृग मोहे तो,
राम बन मोहपाश से
छुड़ाता है,
‘हमसफ़र’ है वो मेरा
हर युग में अवतरित,
होता है।

दरिया-ए-जज्बातों को,
बतरस में भिगोता है
भटके मेरे कदम तो,
प्रीत-बांध बन जाता है
जब-जब बरसे नयन-मोती,
दामन वो फैलाता है।
‘हमसफ़र’ है वो मेरा,
युग-युग साथ निभाता है॥

परिचय – डॉ.नीलम कौर राजस्थान राज्य के उदयपुर में रहती हैं। ७ दिसम्बर १९५८ आपकी जन्म तारीख तथा जन्म स्थान उदयपुर (राजस्थान)ही है। आपका उपनाम ‘नील’ है। हिन्दी में आपने पी-एच.डी. करके अजमेर शिक्षा विभाग को कार्यक्षेत्र बना रखा है। आपका निवास स्थल अजमेर स्थित जौंस गंज है।  सामाजिक रुप से भा.वि.परिषद में सक्रिय और अध्यक्ष पद का दायित्व भार निभा रही हैं। अन्य सामाजिक संस्थाओं में भी जुड़ाव व सदस्यता है। आपकी विधा-अतुकांत कविता,अकविता,आशुकाव्य और उन्मुक्त आदि है। आपके अनुसार जब मन के भाव अक्षरों के मोती बन जाते हैं,तब शब्द-शब्द बना धड़कनों की डोर में पिरोना और भावनाओं के ज्वार को शब्दों में प्रवाह करना ही लिखने क उद्देश्य है।

Leave a Reply