कठिन रास्तों की चढ़ाई…

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरीकुशीनगर(उत्तर प्रदेश) ******************************************** कठिन रास्तों की चढ़ाई से डर के,रहोगे नहीं तुम इधर या उधर के। वही देश को अब चलाते हैं यारों,जो मसले किये हल नहीं अपने घर के। बहुत जल्द ही भूल जाती है दुनिया,अमर कौन होता यहाँ यार मर के। सिसकता दिखा आज फिर से बुढ़ापा,समेटे हुए दर्द को उम्र … Read more

सजग नहीं हैं लोग

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरीकुशीनगर(उत्तर प्रदेश) ******************************************** ‘कोरोना’ से भी अधिक, घातक थी वह भूख।जिसके कारण राह में,प्राण रहे थे सूख॥ सभी घरों में बंद थे,थी दुनिया बेहाल।कोई भूलेगा नहीं,मौतों का यह साल॥ वे भी तब आये नहीं,अपने थे जो खास।कोरोना लेकर भला,कैसे आते पास॥ याद करेगा देश यह,सरकारों की भूल।मदिरालय को छूट थी,बंद रहे स्कूल॥ रोज़ी-रोटी … Read more

किसी और का हूँ

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरीकुशीनगर(उत्तर प्रदेश) ***************************************************** मुझे यूँ न देखो कुँवारा नहीं हूँ,किसी और का हूँ तुम्हारा नहीं हूँ। न छत पे बुलाओ मुझे रात में तुम,मैं इंसान हूँ चाँद-तारा नहीं हूँ। भले मुझको दौड़ा रहे चार कुत्ते,मुहब्बत की बाज़ी मैं हारा नहीं हूँ। न होगा कोई मेरे हिलने से घायल,मैं नैनों का तेरे इशारा नहीं … Read more

मत बाँधो ग़म को तुम…

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरीकुशीनगर(उत्तर प्रदेश) ***************************************************** मत बाँधो ग़म को तुम मन के खूँटे से,दिख जाये तो इसे दबा दो जूते से। मौके तुम ख़ुशियों के मत जाने देना,उनको छोड़ो जो हैं रूठे-रूठे से। उसकी चिंता क्यों करते हो अक्सर तुम ?जो बाहर है भाई तेरे बूते से। किसके ग़म में रोज़ बहाते हो आँसू ?ये … Read more

दिल न बहला तो शायरी कर ली

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरीकुशीनगर(उत्तर प्रदेश) ***************************************************** दिल न बहला तो शायरी कर ली,बुझती आँखों में रोशनी कर ली। साथ काँटों का जब मिला मुझको,फूल जैसी ये ज़िंदगी कर ली। चोट खाया…तो होश आया है,क्यूँ जमाने से दोस्ती कर ली। नाम लेना कभी न मजनूँ का,मैंने उसकी बराबरी कर ली। चाँद गायब है तू बता कैसे ?इस … Read more

सुबह-सुबह की नींद

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरीकुशीनगर(उत्तर प्रदेश) *************************************************************** होते ही सूरज उदय,टूटी यह उम्मीद।जिसको कहते हैं सभी,सुबह-सुबह की नींद।सुबह-सुबह की नींद,बहुत लगती है प्यारी।लेकिन घर के लोग,छेड़ते बारी-बारी।समझाते हैं रोज,न मानव इतना सोते।लेते दिन में नींद,यहाँ जो उल्लू होते॥ परिचय–वकील कुशवाहा का साहित्यिक उपनाम आकाश महेशपुरी है। जन्म तारीख १५ अगस्त १९८० एवं जन्म स्थान ग्राम महेशपुर,कुशीनगर (उत्तर … Read more

इस तरह दिल…

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरीकुशीनगर(उत्तर प्रदेश) *************************************************************** इस तरह दिल चुराने लगी,वो मुझे गुनगुनाने लगी। हो गयी क्या मुहब्बत उसे,गेसुओं को सजाने लगी। अश्क़ बहने लगे इश्क़ में,और वो मुस्कुराने लगी। जान लेकर मेरी क्या कहूँ,जान ही दूर जाने लगी। बात उसकी चुभी इस क़दर,शर्म तीरों को आने लगी। छोड़ ‘आकाश’ प्यासा मुझे, डुबकियाँ वो लगाने लगीll … Read more

अश्क़ बहते रहे रातभर…

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरी कुशीनगर(उत्तर प्रदेश) *************************************************************** अश्क़ बहते रहे रातभर याद है, इश्क़ में दर्द का वो सफर याद है। जिस जगह पर मुझे छोड़कर तुम गये, आज भी वो क़सम से डगर याद है। राह तकता रहा इक झलक के लिए, और जलती रही दोपहर याद है। मैं तुझे देर तक देखता ही रहा, … Read more

खुली हुई है मधुशाला

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरी कुशीनगर(उत्तर प्रदेश) *************************************************************** ‘कोरोना’ के डर से सारे बंद पड़े हैं विद्यालय, मिल-जुल कर मरने की शिक्षा देते अब तो मदिरालय। नहीं किताबें मिल पाएंगी,लगा दुकानों पर ताला, पर नाले गुलजार हुए हैं,खुली हुई है मधुशाला। जो बच्चे पढ़ने जाते वह अब झगड़े सुलझाएंगे, युद्ध भयानक होगा जब भी पापा पी कर … Read more

इश्क़ में क्यों उसे…

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरी कुशीनगर(उत्तर प्रदेश) *************************************************************** इश्क़ में क्यों उसे ग़मज़दा कर दिया, सोचता हूँ कि मैंने ये क्या कर दिया। बातें करता रहा वो मुहब्बत भरी, और मैंने उसे अनसुना कर दिया। इश्क़ की दास्तां छेड़कर आपने, दर्द को बेवजह दो गुना कर दिया। ज़िस्म दो हैं भले जान तो एक है, क्यूँ ज़माने … Read more