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सजग नहीं हैं लोग

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरी
कुशीनगर(उत्तर प्रदेश)

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‘कोरोना’ से भी अधिक, घातक थी वह भूख।
जिसके कारण राह में,प्राण रहे थे सूख॥

सभी घरों में बंद थे,थी दुनिया बेहाल।
कोई भूलेगा नहीं,मौतों का यह साल॥

वे भी तब आये नहीं,अपने थे जो खास।
कोरोना लेकर भला,कैसे आते पास॥

याद करेगा देश यह,सरकारों की भूल।
मदिरालय को छूट थी,बंद रहे स्कूल॥

रोज़ी-रोटी ना बची,बचे नहीं व्यापार।
कोरोना ने रोक दी,दुनिया की रफ्तार॥

कोरोना से मुक्त है,गज भर नहीं जमीन।
जाने कैसी त्रासदी,लेकर आया चीन॥

रात अमावस की तरह,फैल रहा यह रोग।
मौत खड़ी है सामने,सजग नहीं हैं लोग॥

परिचय–वकील कुशवाहा का साहित्यिक उपनाम आकाश महेशपुरी है। जन्म तारीख १५ अगस्त १९८० एवं जन्म स्थान ग्राम महेशपुर,कुशीनगर (उत्तर प्रदेश)है। वर्तमान में भी कुशीनगर में ही हैं,और स्थाई पता यही है। स्नातक तक शिक्षित श्री कुशवाहा क़ा कार्यक्षेत्र-शिक्षण(शिक्षक)है। आप सामाजिक गतिविधि में कवि सम्मेलन के माध्यम से सामाजिक बुराईयों पर प्रहार करते हैं। आपकी लेखन विधा-काव्य सहित सभी विधाएं है। किताब-‘सब रोटी का खेल’ आ चुकी है। साथ ही विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन हो चुका है। आपको गीतिका श्री (सुलतानपुर),साहित्य रत्न (कुशीनगर) शिल्प शिरोमणी सम्मान (गाजीपुर)प्राप्त हुआ है। विशेष उपलब्धि-आकाशवाणी से काव्यपाठ करना है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-रुचि है।

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