आप पत्थर नहीं,हरी दूब हो
अनूप कुमार श्रीवास्तवइंदौर (मध्यप्रदेश)****************************************** आप पत्थर नहींहरी दूब हो,आपको इतनातो महसूस हो। मन सजाओ जराहरे दरख्त-सा,नयन से नयन मेंनई धूम हो। आप नश्तर नहींओंस की बूंद हो,आपको भी ये सावनमहसूस हो। आप पत्थर नहींहरी दूब हो,आपको इतनातो महसूस हो॥ इक कैलेण्डर टंगा हैमेरे सामने,रोज़ कटती हैंतारीख इस उम्र की। हर तरफ़ बिखरेबिखरे किस दर्द में,आप … Read more