बच्चे तो आखिर बच्चे

रीता अरोड़ा ‘जय हिन्द हाथरसी’ दिल्ली(भारत) ************************************************************ विश्व बाल दिवस स्पर्धा विशेष……….. बच्चे तो आखिर बच्चे होते हैं, थोड़े नटखट,थोड़े चंचल होते हैं। बात हमेशा ये सच्ची ही करते, झूठ,फरेब और नहीं,धोखा करते। चुलबुली और प्यारी बातें करते, बच्चों से घर-आँगन महका करते। हो-हल्ला व धमाचौकड़ी मचाते, सबकी नकल और एक्टिंग करते। दादी-दादा का मन … Read more

स्तरीय पत्रिकाएं बंद क्यों हुई ?

सुरेंद्र कुमार अरोड़ा ग़ज़ियाबाद(उत्तरप्रदेश)  ************************************************************************* आज मित्रों के बीच बातचीत में गंभीर चर्चा के दौरान अक्सर यह प्रश्न उठ जाता है कि ,”सत्तर-अस्सी के दशक की उच्चस्तरीय पत्रिकाएं,जैसे-साप्ताहिक हिदुस्तान,धर्मयुग के अतिरिक्त सारिका जैसी समर्थ पत्रिकाओं की अनुपस्थिति आज के समय में बहुत अखरती है।इन कालजई पत्रिकाओं के अंक आज भीजब कहीं किसी साहित्यकार मित्र के … Read more

कन्हैया

रीता अरोड़ा ‘जय हिन्द हाथरसी’ दिल्ली(भारत) ************************************************************ श्याम ऐसे बसो मेरे मन में, कोई ढूँढ सके ना तुझे हममें। श्याम ऐसे बसो…॥ जैसे समुन्दर में मोती होते हैं, पर नज़र किसी को ना आते हैं। श्याम ऐसे बसो…॥ जैसे श्याम बसे मेरे मन में, पर नजर ना आते जन-जन में। श्याम ऐसे बसो…॥ जैसे दिलों … Read more