मजदूर हूँ मैं

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* श्रमिक दिवस विशेष.... मेहनतकश मजदूर हूँ मैं,सकल देश की शान।हाथों में हिम्मत है मेरे,यह मेरा अभिमान॥ देख भवन जो आज खड़ा है, मेरा है उपकार,खून पसीना…

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किताब…मेरी संगिनी

डॉ. आशा मिश्रा ‘आस’मुंबई (महाराष्ट्र)******************************************* विश्व पुस्तक दिवस स्पर्धा विशेष…… बचपन में चलने की दस्तक और हाथों में पुस्तक…दोनों से रूबरू होने का मौक़ा अमूमन एक साथ हुआ,‘क’ से कलम…

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‘कोविड’ जहर बनता गया

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* आज कोविड जहर देख बनता गया,संक्रमण से मनुज नित्य मरता गया। क्या बिगाड़ा भला इस मनुज ने कहो,साँस मांगी मगर नित तड़पता गया। वेवजह तो नहीं…

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प्रकृति पूजन ‘सरहुल’

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’जमशेदपुर (झारखण्ड)******************************************* सज गई है वसुन्धरा कर शुभ सोलह श्रृंगार,खिले वन में नारंगी पलाश बड़े साल कचनारचहुँ दिशाएं सुरभित वन खेत घर औ आँगन,आया 'सरहुल' प्रकृति पूजन…

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बाबा साहब का संघर्ष

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* ज्ञानी सबसे बढ़कर बाबा,पढ़-लिख जाओ सिखलाया।स्वयं अकेला कठिन राह पर,चलकर हमको दिखलाया॥ भेदभाव को सभी मिटा के,संविधान लिख छोड़ा है।सकल जगत में मान देख लो,जात-पात सब…

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नीर की महिमा

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* ज से जल जीवन स्पर्धा विशेष… नीर की महिमा जानें आप।गँवाकर करें न पश्चाताप॥ श्रेष्ठ जल ही बस है आधार।समझ लें इसका क्या है सार॥ व्यर्थ…

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जल जीवन

डॉ. आशा मिश्रा ‘आस’मुंबई (महाराष्ट्र)******************************************* ज से जल जीवन स्पर्धा विशेष… जल ही जीवन…सच है मान,जल का महत्व…ले पहचान। जल से जन्में,जल में हींपले-बढ़े,हुए प्रगतिशील,कहीं रोक रखा है पानीकहीं पानी…

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जीवन अमृत ‘ज’ जल

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’जमशेदपुर (झारखण्ड)******************************************* ज से जल जीवन स्पर्धा विशेष… सदियों से बहती धारा है जल,प्रकृति का अनुपम दान जलमुग्ध होते हो मानव लख दृश्य,ना छेडो़ गरिमा पावन है…

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मैं तो भीगी पिया रंग में

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* पुलकित मेरे नैन सलोने,मन बिछा रंगोली रे।मैं तो भीगी पिया रंग में,खूब खेलूँ होली रे॥ मैं कुछ इतराऊँ बल खाऊँ,नैन जब टकराये जी,आएँ गुलाल मुख पर…

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माँ बिन…मायका

डॉ. आशा मिश्रा ‘आस’मुंबई (महाराष्ट्र)******************************************* मायका…नहीं रह जाता मायका,माँ के बिना…सूना सब ज़ायक़ाघर तो बिलकुल वही रहता है,फिर क्यों सब नया-सा लगता है ?? अजनबी से चेहरे लगते सभी,प्यार भी…

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