कुल पृष्ठ दर्शन : 312

You are currently viewing प्रकृति पूजन ‘सरहुल’

प्रकृति पूजन ‘सरहुल’

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’
जमशेदपुर (झारखण्ड)
*******************************************

सज गई है वसुन्धरा कर शुभ सोलह श्रृंगार,
खिले वन में नारंगी पलाश बड़े साल कचनार
चहुँ दिशाएं सुरभित वन खेत घर औ आँगन,
आया ‘सरहुल’ प्रकृति पूजन का है त्यौहार।

पर्यावरण सुरक्षा औ सजगता का ये त्योहार,
सुगंधित सरई फूलों से सजे केश झूमर दुलार
सरहुल की शोभा बढ़ाती है मांदर की थाप,
पूजा करे जन ऊँचे साल औ वन वृक्ष अपार।

आस्था के रंग धरा पर दिखते हैं रंग हजार,
धरती आकाश दमके प्रकृति का ये श्रृंगार
जंगल-जंगल कोने-कोने खेत औ खलिहान,
उल्लास भक्ति प्रेम प्रतीक है सरहुल त्योहार।

झारखंड छत्तीसगढ़ उडी़सा बंगाल नदिया धार,
आदिवासीजन करें बसंत आह्वान प्यार अपार
रंग-बिरंगी खिली-अधखिली कुसुम-कलियाँ,
चैत शुक्ल तृतीया से बजने लगते हैं ढाक मांदर।

शुरू होता है नए वर्ष का स्वागत सत्कार,
तरूण आम्र की डाली पर जब झूमें हैं मंजर
सामूहिक नृत्य गीतों से गूँजता धरती-आकाश,
सप्ताह महीने होते गीत लय तन-मन श्रृंगार।

लीपे सजा दमके हैं चौखट चौपाल घर औ द्वार,
हवा पानी मिट्टी पेड़ जीव सब हैं जीवन आधार
माँगे नभ दशों दिशाएं नौ जंगल पशु जडी़-बूटी,
पूरखौती गीतों का मान्य सुंदर सरहुल त्योहार।

बजे ढोल ढाक लय संग बजे अविराम मांदर,
थिरके सजनी-थिरके साजन प्रेम का उद्गार।
उल्लासित हँसी-ठुमके बुजुर्ग मुनिया गोपाल,
विनती करे सुखी सम्पन्न हो सबका घर-बार…॥

परिचय- डॉ.आशा गुप्ता का लेखन में उपनाम-श्रेया है। आपकी जन्म तिथि २४ जून तथा जन्म स्थान-अहमदनगर (महाराष्ट्र)है। पितृ स्थान वाशिंदा-वाराणसी(उत्तर प्रदेश) है। वर्तमान में आप जमशेदपुर (झारखण्ड) में निवासरत हैं। डॉ.आशा की शिक्षा-एमबीबीएस,डीजीओ सहित डी फैमिली मेडिसिन एवं एफआईपीएस है। सम्प्रति से आप स्त्री रोग विशेषज्ञ होकर जमशेदपुर के अस्पताल में कार्यरत हैं। चिकित्सकीय पेशे के जरिए सामाजिक सेवा तो लेखनी द्वारा साहित्यिक सेवा में सक्रिय हैं। आप हिंदी,अंग्रेजी व भोजपुरी में भी काव्य,लघुकथा,स्वास्थ्य संबंधी लेख,संस्मरण लिखती हैं तो कथक नृत्य के अलावा संगीत में भी रुचि है। हिंदी,भोजपुरी और अंग्रेजी भाषा की अनुभवी डॉ.गुप्ता का काव्य संकलन-‘आशा की किरण’ और ‘आशा का आकाश’ प्रकाशित हो चुका है। ऐसे ही विभिन्न काव्य संकलनों और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में भी लेख-कविताओं का लगातार प्रकाशन हुआ है। आप भारत-अमेरिका में कई साहित्यिक संस्थाओं से सम्बद्ध होकर पदाधिकारी तथा कई चिकित्सा संस्थानों की व्यावसायिक सदस्य भी हैं। ब्लॉग पर भी अपने भाव व्यक्त करने वाली श्रेया को प्रथम अप्रवासी सम्मलेन(मॉरीशस)में मॉरीशस के प्रधानमंत्री द्वारा सम्मान,भाषाई सौहार्द सम्मान (बर्मिंघम),साहित्य गौरव व हिंदी गौरव सम्मान(न्यूयार्क) सहित विद्योत्मा सम्मान(अ.भा. कवियित्री सम्मेलन)तथा ‘कविरत्न’ उपाधि (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ) प्रमुख रुप से प्राप्त हैं। मॉरीशस ब्रॉड कॉरपोरेशन द्वारा आपकी रचना का प्रसारण किया गया है। विभिन्न मंचों पर काव्य पाठ में भी आप सक्रिय हैं। लेखन के उद्देश्य पर आपका मानना है कि-मातृभाषा हिंदी हृदय में वास करती है,इसलिए लोगों से जुड़ने-समझने के लिए हिंदी उत्तम माध्यम है। बालपन से ही प्रसिद्ध कवि-कवियित्रियों- साहित्यकारों को देखने-सुनने का सौभाग्य मिला तो समझा कि शब्दों में बहुत ही शक्ति होती है। अपनी भावनाओं व सोच को शब्दों में पिरोकर आत्मिक सुख तो पाना है ही,पर हमारी मातृभाषा व संस्कृति से विदेशी भी आकर्षित होते हैं,इसलिए मातृभाषा की गरिमा देश-विदेश में सुगंध फैलाए,यह कामना भी है

Leave a Reply