ये तो सारा जहान है

डॉ. आशुतोषगुरुग्राम(हरियाणा)*********************************** घर-परिवार स्पर्धा विशेष…… अपने से ज्यादा प्यार करती हूँ अपने परिवार से,कभी अलग न हों,हम अपने घर-बार से। मेरे भाई-बहन हैं चार,जीवन में कभी न हो इनकी हार। हर जन्म में मांगूं,मैं इनका साथ,सच हो जाए बस,ये मेरी बात। मात-पिता का सिर,पर हमेशा हाथ रहे,बस अपने परिवार का,सदा ही साथ रहे। बस प्रेम … Read more

होली के रंग

डॉ. आशुतोषगुरुग्राम(हरियाणा) *********************************** फागुन संग-जीवन रंग (होली) स्पर्धा विशेष… रंगों का अनुराग लेकर आया फागुन,मन है मेरा बाग-बाग हे प्रिये सुन। होली के रंग में डूबें ऐसे,श्याम रंग में राधा जैसे। प्रकृति का रंग है मनभावन,शोभित है धरती का आँगन। फागुन में वृद्ध भी जवान हैं,ये श्रेष्ठ ऋतु ही तो महान है। बहुरंगी हो गया … Read more

ख्वाब

आशुतोष कुमार झा’आशुतोष’  पटना(बिहार) **************************************************************************** झूठे ख्वाबों को कोस रहा, अपने मंसूबों को रोक रहा। देखता रोज ही ख्वाब वो, अकेला कर रहा राज वो। अंधेरे का है मालिक वो, उजाले का देखता ख्वाब वो। बचपन से करता आया संघर्ष वो, आज भी कर रहा संघर्ष वो। बूझते दीपक की लौ की भाँति बुझ रहा, … Read more

हमारी जान है हिंदी

अवधेश कुमार ‘आशुतोष’ खगड़िया (बिहार) **************************************************************************** (रचना शिल्प:१२२ १२२२ १२२२ १२२२) हमारी शान है हिंदी,हमारी जान है हिंदी। हमारे देश की यारों,सदा पहचान है हिंदी। जिसे दिनकर,रहीमा,सूर,ने सिर पर सदा रक्खा, वहीं तुलसी,कभी मीरा,कभी रसखान है हिंदी। हजारों नाम हैं जिनने किया है होम जीवन को, हमें बच्चन,कबीरा,मैथिली,पर मान है हिंदी। नहीं तुम जानते हरिऔध … Read more

धरती पर कश्मीर जन्नत

अवधेश कुमार ‘आशुतोष’ खगड़िया (बिहार) **************************************************************************** धरती पर कश्मीर था,जन्नत स्वर्ग समान। कुछ जालिम शैतान ने,बना दिया शमशानll चढ़ा दिया था नेहरू,कश्मीरी को ताड़। मोदी बोले चल उतर,हो भारत सँग ठाढ़ll झेला सत्तर साल तक,हमने नित आतंक। जालिम तो देता रहा,सदा डंक पे डंकll छुपे हुए जो देश में,भारत का गद्दार। मोदी जी कर दीजिए,उसका … Read more

हो जाता कल्याण

अवधेश कुमार ‘आशुतोष’ खगड़िया (बिहार) **************************************************************************** घन भू पर वितरण करे,जल निधि का बन दूत। जल लेकर गगरी कहे,निधि निंदित,मैं पूतll रामायण,जयसंहिता,वेद ज्ञान भंडार। सारे कवियों ने लिया,इनसे ज्ञान उधारll कविगण जो भी बाँटते,सब है जूठा ज्ञान। नहीं परोसा आज तक,एक नया पकवानll जैसे बादल धूप में,ला देता है छाँव। त्यों रज लाती ज्ञान है,छूते … Read more

अहम रहा पैसा कभी नहीं

अवधेश कुमार ‘आशुतोष’ खगड़िया (बिहार) **************************************************************************** जो आदमी शरीफ़ हो,देखा कभी नहीं। मेरे लिए अहम रहा पैसा कभी नहीं। जिसमें निरीह जीव की हत्या करे सभी, तू कर यकीन वह सफल धंधा कभी नहीं। नित धर्म के अलाव पे रोटी जो सेंकता, धंधा उसी का चल पड़े,मन्दा कभी नहीं। बस एक बात जान लें शादी … Read more

जिंदा रखता प्रेम ही

अवधेश कुमार ‘आशुतोष’ खगड़िया (बिहार) **************************************************************************** गज की अनुपम एकता,नहीं जरूरत साध्य। उस एका के सामने,केहरि भी हो बाध्यll एका ही वह ढाल है,जिससे रक्षा कौम। सोलह आने सत्य यह,तिमिर नाश ज्यों भौमll जिसके दिल में है नहीं,प्रेम दया सदभाव। वह वैसे ही डूबता,ज्यों पानी में नावll जिसने दु:ख जग का समझ,अपनाया संन्यास। उसका दु:ख … Read more

शांति को दिल में बसाना चाहते हैं

अवधेश कुमार ‘आशुतोष’ खगड़िया (बिहार) **************************************************************************** शांति को दिल में बसाना चाहते हैं। भक्तिमय संगीत गाना चाहते हैं। नफ़रतें जग से मिटा कर यार हम तो, प्रेम की गंगा बहाना चाहते हैं। लोग के दु:ख दर्द का उनको पता है, देश में वो क्रांति लाना चाहते हैं। जो हमारे साथ चलते हैं हमेशा, हम उन्हें … Read more

रोजी-रोटी-मकान

आशुतोष कुमार झा’आशुतोष’  पटना(बिहार) **************************************************************************** खुद पे ऐतबार का, चंद सवालों का झमेला यहाँ, वक्त-वक्त का मेला रे। रोजी-रोटी-मकान, का यहाँ झमेला रे। भूख की जात नहीं, रोजी-रोटी की बात नहीं नंगे पांव चलते-चलते, छाले का झमेला रे। तन ढका नहीं, मन पढ़ा नहीं कह दिया नंगा रे, बात-बात का झमेला रे। सर्दी-गर्मी-बरसात, छत की … Read more