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धरती पर कश्मीर जन्नत

अवधेश कुमार ‘आशुतोष’
खगड़िया (बिहार)
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धरती पर कश्मीर था,जन्नत स्वर्ग समान।
कुछ जालिम शैतान ने,बना दिया शमशानll

चढ़ा दिया था नेहरू,कश्मीरी को ताड़।
मोदी बोले चल उतर,हो भारत सँग ठाढ़ll

झेला सत्तर साल तक,हमने नित आतंक।
जालिम तो देता रहा,सदा डंक पे डंकll

छुपे हुए जो देश में,भारत का गद्दार।
मोदी जी कर दीजिए,उसका भी सत्कारll

जुड़े हुए हर राज्य की,डिब्बों-सी तकदीर।
डिब्बे के पीछे जुड़ा,एक नया कश्मीरll

मोदी शत-शत है नमन,तुम असली हो लाल।
काटा मस्तक जोड़कर,ऊँचा रक्खा भालll

मोदी ने आतंक को,जार किया है राख।
मोदी से अब मिल गए,हमको पन्द्रह लाखll

जिनकी वाणी थी प्रखर,भरा विविध गुण खूब।
वही गगन की तारिका,आज गयी है डूबll

इस जग में थी आपकी,छवि दु:खहर्ता दीन।
यम से नहि देखा गया,लिया जगत से छीनll

मोदी जी पहना रहे,भारत के सिर ताज।
इसी दिवस को देखने,जिंदा रही स्वराजll

आँखें गीली हो रही,रुद्ध गला आवाज।
किन भावों से दूं उन्हें,मैं श्रद्धांजलि आजll

जतलाता अधिकार था,लिखता था तकदीर।
मानो उसके बाप का,पूरा था कश्मीरll

पुरवाई कहने लगी,उठो हुआ अब प्रात।
लायी मैं शीतल हवा,देख जरा बरसातll

देखो नङ्गा हो गया,सारा पाकिस्तान।
नङ्गा अब क्या खायगा,रज में कर असनानll

भैया तुम कश्मीर पर,मत दो अपनी राय।
राय पियक्कड़ की नहीं,तुमने भी ली भायll

कश्मीरी से है तुम्हें,सचमुच में यदि प्यार।
तो दो नितदिन भोज में,लख्ते-जिगर हजारll

परिचय-अवधेश कुमार का साहित्यिक उपनाम-आशुतोष है। जन्म तारीख २० अक्टूबर १९६५ और जन्म स्थान- खगरिया है। आप वर्तमान में खगड़िया (जमशेदपुर) में निवासरत हैं। हिंदी-अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाले आशुतोष जी का राज्य-बिहार-झारखंड है। शिक्षा असैनिक अभियंत्रण में बी. टेक. एवं कार्यक्षेत्र-लेखन है। सामाजिक गतिविधि के निमित्त साहित्यिक गतिविधियों में भाग लेते रहते हैं। लेखन विधा-पद्य(कुंडलिया,दोहा,मुक्त कविता) है। इनकी पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है, जिसमें-कस्तूरी कुंडल बसे(कुंडलिया) तथा मन मंदिर कान्हा बसे(दोहा)है। कई रचनाओं का प्रकाशन विविध पत्र- पत्रिकाओं में हुआ है। राजभाषा हिंदी की ओर से ‘कस्तूरी कुंडल बसे’ पुस्तक को अनुदान मिलना सम्मान है तो रेणु पुरस्कार और रजत पुरस्कार से भी सम्मानित हुए हैं। इनकी लेखनी का उद्देश्य-साहित्य सेवा करना है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-हिंदी की साहित्यिक पुस्तकें हैं। विशेषज्ञता-छंद बद्ध रचना (विशेषकर कुंडलिया)में है।

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