मैं बंजर में गुल

अवधेश कुमार ‘आशुतोष’ खगड़िया (बिहार) **************************************************************************** मैं बंजर में गुल को खिलाने लगा हूँl जमीं आसमां को हिलाने लगा हूँl मैं पीता नहीं था कभी शौक से भी, कि सोहबत में पड़ के पिलाने लगा हूँl कि जिसकी निगाहों ने घायल किया दिल, उसी शोख से दिल लगाने लगा हूँl लगी चेहरे पे है कालिख़ … Read more

आमने-सामने

आशुतोष कुमार झा’आशुतोष’  पटना(बिहार) **************************************************************************** तीन रंगों का तिरंगा प्यारा तीन अंगो की सेना है, हवा में दिख रहा परचम हमारा जल-थल अभी बाकी है। हर घर में वीर है यहाँ हर जिस्म में दौडता लहू, जिनको प्राणों से देश प्यारा है रग-रग में बसा कश्मीर प्यारा है। आजाद भारत की कहानी वीरो की गाथा … Read more