विधाता का पश्चाताप

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** इक दिन मिला विधाता मुझको लिये हाथ में झोला, और लरजते अधरों से वो धीरे से यूँ बोला। जीवन में हैं कष्ट अनेक ताप और संताप बहुत है, अच्छे कर्म कहाँ मिलते हैं जग में अब तो पाप बहुत हैं। मैं यूँ बोला प्रभुवर तुम तो जग के भाग्य विधाता … Read more

देश का प्रहरी

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** पुण्य प्रण प्रति प्राण पूजित,पावनी पावन धरा। है समर्पण और अर्पण साँस का सावन हराll रक्त का हर कण समर्पित,साँस के कतरे सभी। जिंदगी के पल समर्पित,आज हों या हों अभीll रक्त की प्यासी धरा के,जो सरोवर हो गए। भारती के रजकणों में,तन रतन ही खो गएll देश का प्रहरी … Read more

ऐसी भी मजबूरी कैसी

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** दो शब्द नेह के लिखे हैं लेकिन,शायद ही पढ़ पाओ तुम। साजन याद बहुत आती है,जैसे हो आ जाओ तुम॥ पाती में ही कब तक बोलो,शब्दों का संसार लिखूँ। संग बिताए थे पल हमने,क्या उनका आभार लिखूँ॥ टूट गए जो ख्वाब हे साजन,फिर से आन सजा जाओ। साजन याद बहुत … Read more

फूल खिलाएं दीप जलाएं

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** पुण्य धरा की पावन माटी,आओ हम सम्मान करें, कंचन जैसे संस्कार पर,आओ हम अभिमान करें। मात-पिता के श्रीचरणों पर,श्रृद्धा सुमन चढ़ाओ तो, श्रीगुरुवर के उपकारों पर,अपना नेह जताओ तो। नेह स्नेह के भावों को यूँ,मन में आज सजाएं, दीन-दु:खी की सेवा के हम, ‘फूल खिलाएं दीप जलाएं॥’ आतंकवाद पर कहो … Read more

खरी-खरी

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** जिन्हें वतन के आदर्शों का,दर्प दिखाना था जन को, सत्य और सुचिता के पथ पर,जिन्हें चलाना था मन को। जिन कंधों को संस्कार का,भार उठाया जाना था, जिनको अपनी नीति नियत का,प्रहरी हमने माना था। भले-बुरे का भेद बताकर,सत्य उगलना था जिनको, नेह स्नेह के हिम शिखरों-सा,नित्य पिघलना था जिनको। … Read more

सच कहता हूँ…

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** सच कहता हूँ मान बेचकर,मैं सम्मान नहीं लेता हूँ। अन्तर्मन के आँसू का,मैं बलिदान नहीं लेता हूँ। मुझे बिलखते बच्चों की,पीड़ा सहन नहीं होती। छोड़ गोद के बच्चे को,मैं भगवान नहीं लेता हूँ॥ पकवानों से सजा थाल भी,मुझको रास नहीं आता। परिधान भूप-सा पाऊँ वो भी,मुझको खास नहीं भाता। टूटे … Read more

मुस्कान

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** अधरों पर दिख जाती है बस,वो मुस्कान नहीं होती है, खिले अधर ही खुशियों की,सच पहचान नहीं होती है। भूखे बच्चों के हाथों में,गर एक निवाला होता है, दीन-दुखी की कुटिया उसका,सत्य शिवाला होता है। बहू-बेटियों के रक्षण का,जब संकल्प लिया जाता है। घर के बड़े-बुजुर्गों को भी,उनका मान दिया … Read more

श्रृंगार गीत का होता है

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** कंचन जैसे शब्दों का जब,सुख संयोजन होता है, मंगल भाव भरे हों जिसमें पुण्य प्रयोजन होता है। अंतस का नेह अगर हमको,नयनों में दिख जाए तो, और लेखनी अपनी पीड़ा,सहज सरल लिख जाए तो… ऐसे में फिर अंसुवन से,आभार गीत का होता है, ऐसे सफल प्रयासों से,श्रृंगार गीत का होता … Read more

कुदरत से ही खेल रहे…

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** कैसे-कैसे हुए प्रदूषण,कैसे हम सब झेल रहे हैं, निजी स्वार्थ में जाने क्यूँ हम,कुदरत से ही खेल रहे हैं। वायु प्रदूषण देखा हमने,और प्रदूषित जल देखा, बीज जो हमनें बोए थे अब,आज उन्हीं का फल देखा। नई-नई बीमारी देखी,नए-नए उपचार दिखे, कहीं-कहीं तो सचमुच ही हम,बिलकुल ही लाचार दिखे। दोष … Read more