वो कहानी याद है

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’मुंबई(महाराष्ट्र)****************************************************************** शहीदों की आज भी, वो कहानी याद है,खून से रंगा था वो,दरिया का पानी याद है।चोटियों पर जब हमारी,फौज का बरपा कहर-कारगिल के दुश्मनों को,अब भी नानी…

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जीवन को बचाना है तो…

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** गाँव गली या शहर मुहल्ला,एक देश की बात नहीं है, हिन्दू मुस्लिम सिक्ख इसाई,'कोरोना' की जात नहीं है। सारी दुनिया जिसकी जद में,अब तो बाकी…

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निष्प्राण करें हम ‘कोरोना’

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** मानवता पर जब जब कोई,ऐसी आफत आई, खुद ही खुद को डसती मानों,अपनी ही परछाई। भरी दुपहरी में सूरज को,मानो निगल गई रजनी, और भोर…

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हम भी हाथ बटाएं

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** सरकारों की कोशिश में कुछ,हम भी हाथ बटाएं, और मिले निर्देश उन्हें हम,अंतस से अपनाएं। भेदभाव को भूल-भाल कर,मिलकर जतन करें- मिल-जुलकर इस 'कोरोना' को,आओ…

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हमको भी अधिकार चाहिए

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** प्यार मुहब्बत भाईचारा,हमें आपका प्यार चाहिए, सम्मान सहित जीवन जीने का,हमको भी अधिकार चाहिए। घर के बड़े-बुजुर्गों ने तो,हम पर जीवन वारा है, अपनी हर…

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निवर्तमान वर्ष २०१९

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** हे वर्ष तुम्हारे विदा पर्व पर,कोटि-कोटि तुमको प्रणाम। नमन तुम्हारा त्याग समर्पण,नेह निबन्धन नित निष्कामll हे वर्ष तुम्हारी छाया में ही,जाने कितने मित्र मिले हैं।…

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साहित्य क्या है ?

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** जिसमें मानव के दर्शन हो, जो पावन पुण्य समर्पण हो। जो संस्कार की बोली हो, जो ताप निकंदन होली हो॥ जो वाहक हो परिपाटी का,…

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दोषी कौन…?

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** ('भारत तेरे टुकड़े होंगे' की स्थिति पर आधारित) गैरों की हम बात करें क्या,हम अपनों से हारे हैं। और शिखण्डी सरकारें अब,खेल खेलती सारे हैं॥…

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मजदूरों के नाम पर मजाक

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** परिभाषा मजदूर की,पूछ रहे हैं आप। 'बबुआ' इतना जानिए,जीवन का अभिशाप॥ दीन-हीन कुंठित पतित,भूखा फिर लाचार। बबुआ है मजदूर का,इतना-सा व्यापार॥ सभी सृजन के मूल…

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शुचिता की परिभाषा

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** आओ गीत सुनाऊँ तुमको, 'शुचिता की परिभाषा' का, मनभावों में पलता है उस,जीवन की अभिलाषा का। इन नयनों में नेह-स्नेह की,बहती निर्मल धारा हो, दीन-दु:खी…

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