नर से नारायण बना देती है…एक बूंद

कुँवर बेचैन सदाबहारप्रतापगढ़ (राजस्थान)********************************************************************** चारों तीर्थ एक बार,रक्तदान बारम्बारlबात हो एक धुन की,और जुनून कीकाम आए हर बूंद,किसी के खून कीlमानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं होता,रक्तदाता से बड़ा कोई दानी नहीं होताअपना रक्त किसी की जान बचाता,दिया रक्त शरीर में वापस बन जाताआपको बेशकीमती दुआ दे जाताlएक बूंद नर से नारायण बना देती है,और … Read more

बुरा न मानो होली है

कुँवर बेचैन सदाबहार प्रतापगढ़ (राजस्थान) ********************************************************************** बुरा न मानो होली है, आज ना कोई हमजोली है। सबके दिलों में द्वेष और, मुँह पर मीठी बोली है। बुरा न मानो… आजकल सब एक-दूसरे को छल रहे हैं, होलिका तो बच रही,बस प्रहलाद जल रहे हैं। नेता खूब भ्रष्टाचार कर देश लूट रहे हैं, लूट का माल … Read more

ग़र न होती ये सेल्फी…

कुँवर बेचैन सदाबहार प्रतापगढ़ (राजस्थान) ********************************************************************** उस `सेल्फी` में से खुशबू आती है, सोचता हूँ ग़र न होती ये सेल्फी… तो कौन खींचता बेझिझक-सी तस्वीर हमारी, कोई कहता कि लाओ खींच दूँ मैं तो हम कैसे भर पाते वो खाली जगह बीच कीl तुम शायद कंधे से टिक जाती मेरे, और मैं शायद धीमे से … Read more

किसकी फितरत!

कुँवर बेचैन सदाबहार प्रतापगढ़ (राजस्थान) ********************************************************************** कभी साँपों को देखकर डर जाता था, अब दो-चार साँप तो आस्तीन में ही पाल लेता हूँ। उल्लूओंं को कभी अपशगुन मानने वाला मैं, अब पूरे दिन-महीने-साल उल्लूओं के साथ ही बिताता हूँ। कभी कुत्ते को भौंकते देखकर बुरा बहुत मानता था, अब लोगों को दिनभर भौंकते देखकर भी … Read more

वो खूब जानती है प्रेम…

कुँवर बेचैन सदाबहार प्रतापगढ़ (राजस्थान) ********************************************************************** मैं उसे कभी नहीं बताता कि, मैं तुमसे कितना प्रेम करता हूँ… वो खुद सूंघ लेती है अपनी नाक लगाकर, मेरे प्रेम की गंध। मैं उसे कभी नहीं बताता कि, मैं तुम पर मरता हूँ… वो खुद पता कर लेगी एक दिन, मेरे मरने की उम्र। मैं उसे कभी … Read more

बस वो बातें लिखता हूँ…

कुँवर बेचैन सदाबहार प्रतापगढ़ (राजस्थान) ********************************************************************** मुझे शब्दों की ज्यादा समझ नहीं, मैं मन का मैल लिखता हूँ, जो हो रहा,या हो गया! मैं उसकी बातें करता हूँ। ना ग़ालिब जैसी तर्ज़ है मुझमें, ना जॉन एलिया-सी गहराई ना कुमार विश्वास को सुनता हूँ, और ना टैगोर जी को पढ़ता हूँ! ना मैंने सुनी है … Read more

फिर कैसा अवकाश…!

कुँवर बेचैन सदाबहार प्रतापगढ़ (राजस्थान) ********************************************************************** इस शीतकालीन अवकाश पर, किसी जरूरतमंद की जिंदगी में थोड़ी-सी दुखों की छुट्टियाँ करें। जब घर में ही ना हो खुशी की आस, फिर काहे का शीतकालीन अवकाश। निराश हुई बच्चों की आशाएं, हम बदले खुशियों में करें ऐसा उपाय। गरीबी में तो कोई बच्चा न पलता, दुखता दिल … Read more

कभी तुम आओगी…

कुँवर बेचैन सदाबहार प्रतापगढ़ (राजस्थान) ********************************************************************** ‘हमको फरक नहीं पड़ता’ या ‘हमें क्या अधिकार है!’,ये पंक्ति हम दोनों के बीच बोली जानी वाली सबसे झूठी बात थी। पता नहीं क्यों,मग़र मुझे लगता है कि जब आपसे ऐसा कोई बोलता है तो सबसे ज्यादा फर्क उसी को पड़ता है जो इसको बोलता है। वो बात अलग … Read more