क्या कसूर रहा…

ममता बैरागी धार(मध्यप्रदेश) ****************************************************************** हर तरफ खुशियां मेरे आस-पास थी, पंखों से उड़ान भर उड़ना चाहती थी क्योंकि मेरे घर-आँगन की मैं राजकुमारी थी। एक तरफ बाबुल का स्नेह,एक तरफ माँ की ममता, और भाई-बहनों के संग में प्यारी-न्यारी थी। आज लग रहा था,आसमां में पहुंच गई हूँ, मैं ऊपर और आसमान नीचे था शायद … Read more

सावन

ममता बैरागी धार(मध्यप्रदेश) ****************************************************************** सावन आया पानी लाया, सबके मन को इसने हर्षाया। धरा कैसी नाच उठी है, गगन से मिलने आतुर हो रही है। आज चहुंओर छाई हरियाली, खेतों में जुट गए हैं माली। पिहु-पिहु पपीहा बोले, तरू भी नई फोड़े कोपलें। इस ऋतु की यही अच्छाई, सबके दिलों में प्रेम जगाई। कल-कल करती … Read more

सुंदर भविष्य निर्माण करेंगे

ममता बैरागी धार(मध्यप्रदेश) ****************************************************************** आज मुस्कुरा कर चल दिए नन्हें-मुन्ने, हाथों में पानी की बोतल,और कांधे पर बस्ता है। छोटे-छोटे कदम बढ़ाकर,चल पड़े इस जग की राह, आँखों में हैं हसीन सपने,और प्यारी शाला है यह। सुंदर भविष्य निर्माण करेंगे,नेक नागरिक यह बनकर, आज शिक्षक से सीख रहे,कल यह बताएंगें सीखकर। आओ प्यारे इधर आओ,आज … Read more

आ गया पानी बाबा

ममता बैरागी धार(मध्यप्रदेश) ****************************************************************** आज बहुत खुशी से सारी दुनिया झूम ऊठी, हर्षित तन-मन हुआ,फव्वारों के साथ मीठी। कितना प्यारा मौसम हुआ,छाने लगी रौनक है, हरियाली की चादर ओढ़ आज धरा भी नाच रहीl जागे या सोए हम,या घूमने ही जाएं हम, बड़े-बड़े झरनों को देखे,या सिमट आए हम। समझ में कुछ ना आता,अब तो … Read more

जज्बात

ममता बैरागी धार(मध्यप्रदेश) ****************************************************************** खेल जाते हैं कुछ लोग, बड़ी ही मासूमियत से किसी की जिंदगी से। भूल जाते हैं ऐसे में वह, क्या गुनाह कर जाते हैं। मुस्करा कर फिर बड़ी शान से कहते हैं, हम पर किया भरोसा तोड़ आते हैं। उन्हें यह दिले हाल पता नहीं होता, तभी तो वह जज्बातों को … Read more

वक्त

ममता बैरागी धार(मध्यप्रदेश) ****************************************************************** ऐ वक्त जब तक तू मेहरबान था, तब तक सारा ही जमाना मेरी मुट्ठी में बंद था। आज तू क्या रूठा, ये हसीन लगने वाला जहां रूठ गया देखते ही देखते, अपना ही कोई पराया हो गया। जख्म देने लगे वह,इतना सितम ढाया, बहारों के मौसम में पतझर छा गया। चाँदनी … Read more