ममता बैरागी
धार(मध्यप्रदेश)
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हर तरफ खुशियां मेरे आस-पास थी,
पंखों से उड़ान भर उड़ना चाहती थी
क्योंकि मेरे घर-आँगन की मैं राजकुमारी थी।
एक तरफ बाबुल का स्नेह,एक तरफ माँ की ममता,
और भाई-बहनों के संग में प्यारी-न्यारी थी।
आज लग रहा था,आसमां में पहुंच गई हूँ,
मैं ऊपर और आसमान नीचे था
शायद मेरी ख्वाहिशों से वह भी वाकिफ था।
तभी कहीं से आया दरिंदा,हर अरमान कुचल गया,
एक नन्हीं परी को पलभर में मसल गया।
ना जी सकी-ना मर सकी,टक-टकी लगाए हूँ,
कहां-क्या हो गया, सब-कुछ समझ ना पाई हूँ।
सारी सहेलियां हँस रही अपनी-अपनी दुनिया में,
यह जिंदा लाश बन बैठी कब्रिस्तान में।
क्या कसूर इसका रहा,कौन ऐसा असुर आया,
जिंदगी से खेल गया,बिना कारण सजा दे गया।
जागो भारत के लोगों जागो,बच्चियों को बचा भी लो,
इन नन्हीं-नन्हीं कलियों को आज हँसकर खिलने दो।
परिचय-ममता बैरागी का निवास मध्यप्रदेश के धार जिले में है। आपकी जन्म तारीख ९ अप्रैल १९७० है। श्रीमती बैरागी को हिन्दी भाषा का ज्ञान है। एम.ए.(हिन्दी) एवं बी.एड. की शिक्षा प्राप्त करके कार्य क्षेत्र-शिक्षण(सहायक शिक्षक ) को बनाया हुआ है। सामाजिक गतिविधि-लेखन से जागरूक करती हैं। संग्रह(पुस्तक)में आपके नाम-स्कूल चलें हम,बालिका शिक्षा समाज,आरंभिक शिक्षा और पतझड़ के फूल आदि हैं। लेखनी का उदेश्य-समाज में जागरूकता लाना है। आपके लिए प्रेरणापुंज- पिता तथा भाई हैं। आपकी रुचि लेखन में है।