प्यार में था मैं
कुँवर बेचैन सदाबहारप्रतापगढ़ (राजस्थान)************************************** काव्य संग्रह हम और तुम से…. प्यार में था मैं,तो मैंने बेच कर नींदकुछ रातें कमानी चाही।सोचा…खर्च करूँगातुम्हारे साथ,उन रातों को।पर तुम्हें डर था,उन लोगों का।जो कहते हैं-‘प्यार और रातहवस से ज्यादाकुछ नहीं।’ प्यार में था मैं,तो मैंने बेच कर आँसूकुछ हँसी कमानी चाही।सोचा,…यूँ ही हँसते हुए,देखता रहूँगा तुम्हें एकटकऔर फिर … Read more