माँ

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* साहित्य की पाठशाला (रचनाशिल्प:चार चरण २२ वर्ण प्रति चरण,१०-१२ वर्ण पर यति, चरणान्त गुरु,(२११×७) +२ (भगण×७)+गुरु,चारों चरण समतुकांतl) कर्ण महा तप तेज बली, २१ १२ ११…

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सौतन

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* हिंदी  दिवस स्पर्धा विशेष……………….. सौतन मेरे प्रिय सखे रचनाधर्मी, अशेष स्नेहाशीष। आज मैं अपनी पीर कहानी पत्र द्वारा तुम्हें बता रही हूँ,क्योंकि राजसभा में द्रौपदी से…

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धरा-चालीसा

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* दोहा- धरा धर्म हित कर्म कर,जीवन मनुज सुधार। संरक्षण भू का किए,भव जीवन आधारll चौपाई- प्रथम नमन करता हे गजमुख। वीणापाणी शारद मम सुखll गुरु पद…

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दोहा छंद विधान

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* आओ दोहा सीख लें,शारद माँ चितलाय। सीख छंद दोहा रचें,श्रेष्ठ सृजन हो जायll ग्यारह तेरह मात्रिका,दो चरणों में आय। चार चरण का छंद है,दोहा सुघड़ कहायll…

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धरती

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* (विशेष चिन्ह '.....' से प्रदर्शित शब्द धरती के पर्यायवाची हैं।) धारण करती है सदा,जल थल का संसार। जननी जैसे पालती,धरती जीवन धारll भूमि उर्वरा देश की,उपजे…

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श्रीकृष्ण चालीसा

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* दोहा- गुरु चरणों में है नमन,वंदन श्री भगवान। शारद माँ रखना कृपा,करूँ कृष्ण गुणगान॥ चौपाई- कृष्ण अष्टमी भादौ मासे। प्राकृत जीव वन्य मनु हासे॥ जन्मत मिटे…

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कृष्ण जन्माष्टमी

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* कृष्ण जन्माष्टमी स्पर्धा विशेष………. भादव रजनी अष्टमी,लिए ईश अवतार। द्वापर में श्री कृष्ण बन,आए तारनहार। आए तारनहार,रची लीला प्रभुताई। मेटे अत्याचार,प्रीत की रीत निभाई। कहे लाल…

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सावन सरस सुजान

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* सावन श्रंगारित करे,वसुधा,नारि,पहाड़। सागर सरिता सत्यशिव,नाग विल्व वन ताड़ll दादुर पपिहा मोर पिक,नारी धरा किसान। सबकी चाहत नेह जल,सावन सरस सुजानll नारि केश पिव घन घटा,देख…

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हरियाला सावन

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* हरित धरा हो सारी, तरुण गिरि श्रंगारी, मीत गीत शीत संग, झूमें पुरवाइया। तरु खग वन्य जीव, रट रहे पीव-पीव, तीज पर्व वृक्षों पर झूलती कुमारियाँ।…

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बिना नीड़ के बया बिचारी

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* कटे पेड़ के ठूँठ विराजी, बया मनुज को कोस रही। बेघर होकर,बच्चे अपने, संगी-साथी खोज रही। मोह-प्रीत के बंधन उलझे, जीवन हुआ क्लेश में। जैसा भी…

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