एहसास

उमेशचन्द यादव बलिया (उत्तरप्रदेश)  *************************************************** सोचा था एक होंगे हम,यही सोच लिए जा रहा हूँ, सदभाव तो आदत है मेरी,यही मैं जिए जा रहा हूँ। जाना था कहीं,कहीं और चले जा रहा हूँ, तेरे हिस्से का गम भी,लिए जा रहा हूँ। जिंदगी ये तेरे बगैर जिए जा रहा हूँ, लग रहा है कोई अपराध किए … Read more

समय का फेर

उमेशचन्द यादव बलिया (उत्तरप्रदेश)  *************************************************** सब-कुछ जब ठीक-ठाक चल रहा, लोग हाल पूछे बेर-बेर, जब समय ने कहर गिराया, लोग लिए मुँह फेरl उगते सूरज को नमन सभी का, ढलने पर लेते नज़र को फेर, ग्रहण के समय सब अशुभ मान कर, मुँह लेते हैं फेरl सुख में बनें हजारों साथी,स्वार्थ पूर्ति होते ही वे, … Read more

वसंती हवा हूँ

उमेशचन्द यादव बलिया (उत्तरप्रदेश)  *************************************************** हवा हूँ,हवा हूँ,वसंती हवा हूँ, दिल को मैं तो छू लूँ। हिया में रस घोलूँ, विरहिन के पास जाऊँ दर्दे दिल की दवा हूँ। हवा हूँ,हवा हूँ,वसंती हवा हूँ… मन में मैं रस घोलूँ, मर्ज़े दिल को टटोलूँ। नायिका का गम मैं ले लूँ, गालों से उसके खेलूँ ईश्वर की … Read more

मत जाओ परदेश

उमेशचन्द यादव बलिया (उत्तरप्रदेश)  *************************************************** दूर के ढोल सुहावने लगे, गाँव से लोग शहर में भागे। शहर तो है ज़हर का डब्बा, बेलगाम है बेगम का अब्बा। पैसे वाले सब रौब जमाते, मजदूरों को खूब सताते। कोल्हू के बैल-सा काम करवाते, वेतन माँगने पर आँख दिखाते। पसीना परदेशी बहाते, मालिक ए.सी. में मौज उड़ाते। मेहनत … Read more

ना बाबा हम तेरी गलियाँ…

उमेशचन्द यादव बलिया (उत्तरप्रदेश)  *************************************************** ना बाबा हम तेरी गलियाँ, लौट कभी ना आएंगे। भेड़िए बैठे डीठि लगाए, हमें नोच ओ खाएंगे। बाबा पहले वादा कर लो, कहीं घिर हम जाएंगे। थाली छोड़कर कृष्णमुरारी, क्या हमें हमें बचाने आएंगे ? बिटिया सुन लो बात हमारी, तुम्हें ना कभी बिसराएंगे। विनती तुम्हारी सुनें मुरारी, अब वे … Read more

उन्नीस-बीस

उमेशचन्द यादव बलिया (उत्तरप्रदेश)  *************************************************** आओ मिलकर करें विदाई, हँसकर वर्ष उन्नीस की। स्वागत भी हो उसी धुन में, नव वर्ष इस बीस का॥ कर लें हम पूरे अपने कर्म, अधूरे जो हैं उन्नीस के। खुद को हम ऐसे चमकाएँ, यादगार हों हर पल बीस के॥ भूलिए सारे शिकवे-गिले, गलतियों को उन्नीस की। गले मिलकर … Read more

स्पर्धा में प्रथम आए डॉ. गुलाब चंद पटेल

अहमदाबाद(गुजरात)। मीन साहित्य संस्कृति मंच(हरियाणा) ने हिंदी प्रतियोगिता अक्टूबर २०१९ आयोजित की थी। इसमें कवि-अनुवादक और नशा मुक्ति अभियान प्रणेता डॉ. गुलाब चंद पटेल ने प्रथम स्थान हासिल किया है। ‘कार्तिक मास का महत्व’ विषय पर निबंध लेखन में प्रथम स्थान आने पर आपको साहित्यकार विजय कुमार तिवारी (अहमदाबाद)सहित मित्रों ने भी हार्दिक शुभकामनाएँ दी … Read more

ओ दिन…

उमेशचन्द यादव बलिया (उत्तरप्रदेश)  *************************************************** ‘बड़े दिन की छुट्टी’ स्पर्धा  विशेष……… आज भी ओ(वो)दिन जब याद आता है,तो मन मगन हो जाता है। कड़ाके की ठंड में हम ठिठुर-ठिठुर कर पढ़ने जाते थे। हम सभी को बहुत ही बेसब्री से इंतजार रहता था इस दिन का,क्योंकि इसी दिन से हम आगे की मौज-मस्ती की तैयारी … Read more

पहले तौलिए,फिर बोलिए

उमेशचन्द यादव बलिया (उत्तरप्रदेश)  *************************************************** मधुर वचन है औषधि,यूँ ही ना मुँह खोलिए, बड़े-छोटे का लिहाज कर,कुछ भी मत बोलिए। मधुरता के अभाव में,बने ना एक भी काम, अपनाये जो मधुर वचन,रूके ना कोई काम। इज्ज़त करें इज्ज़त मिले,बढ़े मान सरेआम, अहंकार से कुछ ना मिले,रुक जाये सारे काम। मधुर वचन से सुख उपजे,भजो हरि … Read more

काली बनकर आओ…

उमेशचन्द यादव बलिया (उत्तरप्रदेश)  *************************************************** `दिशा` काली बनकर आओ ना, पाप बढ़ा है पवित्र धरा पर  आकर तुम ही इसे मिटाओ ना,  `दिशा` काली बनकर आओ ना।    पापियों का संहार करो तुम,  नर के रूप में घूमते भेड़िए  धरती से इन्हें मिटाओ ना,  `दिशा` काली बनकर आओ ना।    दिन-दिन घटना बढ़ती जा रही,  मानव को … Read more